HomeAdivasi Dailyमणिपुर के इन इलाकों में मार्च 2025 तक AFSPA लागू

मणिपुर के इन इलाकों में मार्च 2025 तक AFSPA लागू

AFSPA का फिर से लागू होना मणिपुर में सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है लेकिन इस कदम को लेकर विवाद भी है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां तो मिल जाती हैं लेकिन इसका प्रभाव स्थानीय जनता के अधिकारों पर भी पड़ता है.

भारत सरकार ने मणिपुर में हाल फिलहाल के दिनों में भडकी हिंसा के कारण बढ़ रहे जातीय संघर्ष को देखते हुए  सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act) को मार्च 2025 तक के लिए फ़िर से लागू कर दिया है.

AFSPA कानून सुरक्षा बलों को उग्रवादी गतिविधियों पर नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार देता है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे उन छह पुलिस थानों में लागू किया है जहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.

कहां-कहां लागू हुआ AFSPA ?

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार AFSPA, मणिपुर के सेकमाई और लामसांग (इंफाल वेस्ट), लामलाई (इंफाल ईस्ट), जिरीबाम (जिरीबाम), लीमाखोंग (कांगपोकपी), मोइरांग (बिष्णुपुर) क्षेत्रों में फिर से लागू किया गया है.

सेकमाई और लामसांग (इंफाल वेस्ट), लामलाई (इंफाल ईस्ट), जिरीबाम (जिरीबाम) पुलिस क्षेत्रों से पिछले साल अप्रैल 2022 में और लीमाखोंग (कांगपोकपी), मोइरांग (बिष्णुपुर) क्षेत्रों से मार्च 2023 में AFSPA हटाया गया था.

उस समय कानून-व्यवस्था में सुधार नज़र आया था जिसके बाद इसे हटाने का फैसला लिया गया था. लेकिन हाल ही की हिंसक घटनाओं के चलते अब इन इलाकों में फिर से इसे लागू कर दिया गया है.

हाल-फिलहाल की हिंसक घटनाएं और हालात

मणिपुर में जातीय हिंसा की घटनाओं ने स्थिति को एक बार फिर गंभीर बना दिया है. मणिपुर के इन इलाकों से बीते सप्ताह में लगातार हिंसक घटनाएं सामने आई हैं.

पिछले गुरुवार को जिरीबाम ज़िले में एक 31 वर्षीय महिला के साथ कथित रूप से दुष्कर्म और हत्या की घटना हुई. इस घटना का आरोप एक कट्टरपंथी मैतई संगठन, अराम्बई टेंगगोल पर लगाया गया था. इसके बाद हिंसा और बढ़ गई थी और दोनों समुदायों के बीच झड़पें शुरू हो गई थी.

इसी सोमवार को जिरीबाम में एक CRPF पोस्ट पर उग्रवादियों ने हमला कर दिया जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में 10 उग्रवादियों को मार गिराया था. अगले ही दिन, दो लोगों के शव बरामद हुए थे और छह अन्य मैतई लोगों का अपहरण कर लिया गया था. पुलिस ने शक जताया था कि  इन लोगों को उग्रवादियों ने अगवा किया है.

इसके अलावा मैतई बहुल इंफाल घाटी और कुकी बहुल पहाड़ी क्षेत्रों के बीच सीमा पर भीषण संघर्ष जारी है. बुधवार को बिष्णुपुर के मैतई बहुल क्षेत्र में धान के एक खेत में कुकी उग्रवादियों ने एक महिला की हत्या कर दी, जिससे हिंसा और भड़क गई. इसी के साथ, 9वीं भारतीय आरक्षित बटालियन (IRB) के जवानों और संदिग्ध उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ भी हुई.

AFSPA लागू होने पर प्रतिक्रिया और विरोध

AFSPA लागू होने के बाद मणिपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. मैतई-बहुल इंफाल घाटी में बुधवार को 13 नागरिक संगठनों ने सामान्य हड़ताल का एलान किया.

उन्होंने इस कदम का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि कुकी उग्रवादियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं और केंद्र सरकार की नीति इन मुद्दों का समाधान नहीं कर रही है.

कई संगठनों द्वारा इसे सिर्फ दिखावे का कदम बताया जा रहा है. उनका कहना है कि यह कानून समस्या का स्थायी समाधान नहीं है.

ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि AFSPA का इस्तेमाल आदिवासी समुदायों के दमन के लिए किया जा रहा है और हिंसा की असली वजहों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

क्या है AFSPA ?

AFSPA या सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम एक ऐसा कानून है जो सेना और सुरक्षा बलों को अशांत क्षेत्रों में विशेष शक्तियां या अधिकार देता है.

इसके तहत किसी भी प्रकार का खतरा महसूस होने पर सुरक्षा बल बिना वारंट के तलाशी, गिरफ्तारी और किसी भी संदिग्ध पर गोली चलाने का अधिकार रखते हैं.

यह कानून उन क्षेत्रों में लगाया जाता है जिन्हें “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया हो ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके और उग्रवादी गतिविधियों को रोका जा सके.

AFSPA का फिर से लागू होना मणिपुर में सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है लेकिन इस कदम को लेकर विवाद भी है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां तो मिल जाती हैं लेकिन इसका प्रभाव स्थानीय जनता के अधिकारों पर भी पड़ता है.

अब देखना ये है कि मणिपुर की अस्थिर स्थिति और जातीय संघर्ष के बीच सरकार की यह नीति शांति बहाली की दिशा में कितनी कारगर साबित होती है.

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