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अमित शाह ने त्रिपुरा में बसाए गए ब्रू आदिवासी गांव का दौरा किया

ग्रामीणों से बातचीत के अलावा गृहमंत्री शाह ने कई घरों का दौरा किया और लोगों की समस्याओं और उन्हें मिल रहे सरकारी लाभों के बारे में जानकारी ली.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार 22 दिसंबर को त्रिपुरा के सुदूर इलाके में बसे बुरहा पाड़ा गांव का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों से मुलाकात की और कहा कि मैं आपसे ज्यादा खुश हूं. प्रधानमंत्री (नरेन्द्र)मोदी जी भी बहुत खुश हैं कि हम 40 साल बाद आपका पुनर्वास कर सके.

ब्रू-रियांग समुदाय पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के कबीले में से एक है. ये राज्य में हर जगह पाए जाते हैं. इसके साथ ही असम और मिजोरम में भी ये लोग रहते हैं.

शाह ने कहा कि केंद्र सरकार त्रिपुरा सरकार के साथ मिलकर विस्थापित ब्रू (रियांग) परिवारों के पुनर्वास के लिए सर्वोत्तम प्रयास कर रही है ताकि वे अपने घरों में सम्मान के साथ रह सकें.

उन्होंने कहा कि वह इस बात से बेहद खुश हैं कि मोदी सरकार त्रिपुरा में सभी विस्थापित ब्रू लोगों का सफलतापूर्वक पुनर्वास करने में सफल रही है.

शाह ने कहा, “ब्रू-रियांग समुदाय के लोग बहुत प्रतिकूल परिस्थितियों में रह रहे थे. उनके पास पानी, बिजली, शौचालय की सुविधा नहीं थी. माकपा ने त्रिपुरा में 35 साल तक शासन किया और कांग्रेस ने भी कई सालों तक राज्य पर शासन किया लेकिन उन्होंने कभी ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों की दुर्दशा के बारे में चिंता नहीं की. त्रिपुरा में भाजपा की सरकार बनने के बाद हमने 40,000 लोगों को बसाया और शिक्षा, स्वच्छ पानी की बेहतरीन व्यवस्था की.”

उन्होंने बसने वाले लोगों से कहा, ‘‘हमने आपके लिए 25 तरह के आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए हैं. इनमें पशुपालन, डेरी, मधुमक्खी पालन और बाजरा की खेती शामिल है.’’

उन्होंने कहा, “कम्युनिस्ट सरकार के तहत केवल 2.5 फीसदी घरों में पीने योग्य पानी की सुविधा थी. आज 85 फीसदी घर स्वच्छ पेयजल सुविधाओं से जुड़े हैं. इसके अलावा राज्य की 85 फीसदी आबादी को मुफ्त राशन मिलता है और 80 फीसदी लोग कैशलेस चिकित्सा उपचार के लिए पात्र हैं. राज्य में स्कूल छोड़ने की दर में भी भारी कमी देखी गई है, नामांकन 67 फीसदी से बढ़कर 99.5 फीसदी हो गया है.”

ग्रामीणों से बातचीत के अलावा गृहमंत्री शाह ने कई घरों का दौरा किया और लोगों की समस्याओं और उन्हें मिल रहे सरकारी लाभों के बारे में जानकारी ली.

जब कुछ निवासियों ने शाह को बताया कि उन्हें अभी तक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिले हैं तो उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि दो दिनों के भीतर सभी को कार्ड मिल जाएंगे और जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

मिज़ोरम के तीन जिलों – ममित, लुंगलेई और कोलासिब से ब्रू प्रवासी 1997, 1998 और 2009 में राज्य में ब्रू और मिज़ो समुदायों के बीच गंभीर जातीय हिंसा के कारण उत्तरी त्रिपुरा जिले में आए थे.

16 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षरित एक चतुष्पक्षीय समझौते के बाद ब्रू आदिवासियों का पुनर्वास किया गया. त्रिपुरा में ब्रू प्रवासियों के स्थायी पुनर्वास के लिए भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम की सरकारों और ब्रू संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.

ब्रू (रियांग) आदिवासियों में से लगभग 70 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि शेष ईसाई हैं.

ब्रू आदिवासियों की पुनर्वास कॉलोनियों की स्थापना के लिए त्रिपुरा के उत्तरी त्रिपुरा, धलाई, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा जिलों में कुल 12 स्थानों की पहचान की गई थी. इनमें से नौ वन भूमि पर हैं जबकि तीन सरकारी भूमि पर हैं.

अधिकारियों ने कहा कि इन 12 चिह्नित स्थानों पर बसावट का काम जारी है. समझौते के तहत इन परिवारों को फिर से बसाने के लिए 754 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है.

अधिकारियों ने बताया कि समझौते के तहत पुनर्वास के लिए परिवारों की अंतिम संख्या 6,935 है, जिनकी जनसंख्या 37,584 है.

बिजली की लाइन, आंतरिक सड़कों पर ईंट बिछाना, पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गहरे ट्यूबवेल की स्थापना, बिजली के बुनियादी ढांचे का निर्माण, घरों तक संपर्क, सौर स्ट्रीट लाइट की स्थापना, नयी उचित मूल्य की दुकानें, आंगनवाड़ी केंद्र, स्कूल और स्वास्थ्य उप-केंद्र खोलना जैसे सामान्य विकास कार्य 11 स्थानों पर लगभग पूरे हो चुके हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, दक्षिण त्रिपुरा जिले में अंतिम स्वीकृत पुनर्वास कॉलोनी, काला लॉगांग में सामान्य विकास कार्य जारी है और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरा होने की संभावना है.

एक अधिकारी ने बताया कि इन परिवारों को 12 कॉलोनियों में फिर से बसाने के लिए कुल मिलाकर 821.98 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

सामान्य विकास कार्यों के लिए कुल राशि में से, 793.65 करोड़ रुपये केंद्रीय गृह मंत्रालय और 28.34 करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा वहन किए जा रहे हैं.

अब तक गृह मंत्रालय ने 693.13 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिनमें से 406.42 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत सीधे लाभार्थियों को दिए गए हैं.

ब्रू-रियांग समुदाय

भारतीय संविधान में ब्रू-रियांग समुदाय को रियांग के रूप में जाना जाता है. ये एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) है जो मुख्य रूप से त्रिपुरा, मिजोरम और असम में रहता है.

रियांग समुदाय 12 कुलों से मिलकर बना है: मोलसोई, तुइमुई, मशा, तौमायाचो, एपेटो, वैरेम, मेस्का, रायकचक, चोरखी, चोंगप्रेंग, नौखम और याकस्टाम.

संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के भाग XVII के अनुसार रियांग जनजाति कुकी जनजाति की एक उप-जनजाति है और मिज़ोरम की अनुसूचित जनजातियों में से एक है.

ब्रू बोडो भाषाई समूह से संबंधित हैं. इसके कारण संविधान (अनुसूचित जनजाति) के भाग XV- त्रिपुरा की धारा 16 के तहत त्रिपुरा ब्रू/रियांग को एक अलग जनजाति के रूप में नामित किया गया.

ये लोग कोकबोरोक भाषा के समान रियांग बोली बोलते हैं, जिसकी जड़ें तिब्बती-बर्मी हैं और जिसे स्थानीय रूप से कौ ब्रू के नाम से जाना जाता है.

रियांग एक अर्ध-खानाबदोश लोग हैं जो झूम (काटना और जलाना) या स्थानांतरण विधि से पहाड़ियों पर खेती करते हैं. यह उन्हें कुछ सालों के बाद जगह बदलने के लिए मजबूर करता है.

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