HomeAdivasi Dailyआदिवासी लड़की को पर्वत चढ़ने के लिए सरकार से मिलेगी मदद ?

आदिवासी लड़की को पर्वत चढ़ने के लिए सरकार से मिलेगी मदद ?

रेणुका ने कहा कि स्पंदन के दौरान उसने जिला कलेक्टर श्रीकेश बी लटखर से भी मुलाकात की और आर्थिक मदद मांगी. क्योंकि उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा था और वह अपनी सभी कोशिशों के व्यर्थ साबित होने से परेशान थी. इससिए वो अपने माता-पिता को परिवार चलाने में मदद करने के लिए 9,000 रुपये के वेतन पर एक शॉपिंग मॉल में एक सेल्सगर्ल के रूप में काम करने लगी.

एक 20 साल की आदिवासी लड़की ने किलिमंजारो पर्वत पर विजय पाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मांगी है. सीथमपेटा एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी की सीमा के अंतर्गत आने वाले भामिनी मंडल के नुलाकाजोडु गांव की कोंडागोरी रेणुका को किलिमंजारो अभियान के लिए चुना गया है.

यह अभियान 19 से 28 जनवरी को ट्रांसेंड एडवेंचर (Transcend Adventures) के माध्यम से निर्धारित है. रेणुका को पर्वतारोहण अभियान में भाग लेने के लिए यात्रा खर्च और उपकरणों के लिए 3 लाख रुपये का भुगतान करना है.

रेणुका के माता-पिता संजीव राव और कृष्णवेनी खेती-किसानी करते हैं. ऐसे में वो  आर्थिक तंगी के कारण टीम में शामिल होने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि अब वह एक शॉपिंग मॉल में सेल्स गर्ल का काम कर रही है.

रेणुका को 2018 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए चुना गया था, जब वह सीथमपेटा सरकारी जूनियर कॉलेज में इंटरमीडिएट द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं. उसने विजयवाड़ा, दार्जिलिंग और लद्दाख में अभियान के लिए तीन चरणों का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था. बाद में, उसने अपनी टीम के सदस्यों के साथ पर्वतारोहण अभियान में भाग लिया था.

हालांकि, खराब मौसम के चलते कुल 8,848 मीटर में से 7,900 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद उनका ट्रेकिंग अभियान रोक दिया गया था. भले ही रेणुका पर्वतारोहण में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का एक अवसर चूक गई थी.

लेकिन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के अपने प्रयास के लिए श्रीकाकुलम जिले और सीथमपेटा आईटीडीए के अधिकारियों से प्रशंसा हासिल की थी.

उसके बाद रेणुका ने अपनी शारीरिक फिटनेस को बनाए रखने के लिए पश्चिम गोदावरी जिले में बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (PET training) का अध्ययन किया और इसे तीन महीने पहले ही पूरा किया है.

जब वह पर्वतारोहण के अवसर की तलाश में थी तभी हैदराबाद स्थित ट्रांसेंड एडवेंचर ने उसे किलिमंजारो अभियान के लिए चुना था.

रेणुका ने कहा, “मुझे यात्रा खर्च के लिए 3 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है. लाख कोशिशों के बाद भी मैं 3 लाख रुपये नहीं जुटा पायी हूं.”

रेणुका ने कहा कि स्पंदन के दौरान उसने जिला कलेक्टर श्रीकेश बी लटखर से भी मुलाकात की और आर्थिक मदद मांगी. क्योंकि उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा था और वह अपनी सभी कोशिशों के व्यर्थ साबित होने से परेशान थी. इससिए वो अपने माता-पिता को परिवार चलाने में मदद करने के लिए 9,000 रुपये के वेतन पर एक शॉपिंग मॉल में एक सेल्सगर्ल के रूप में काम करने लगी.

रेणुका ने कहा, “भविष्य में पर्वतारोहण में भाग लेने के लिए अपनी शारीरिक फिटनेस को बनाए रखने के लिए मैंने सामान्य स्नातक के बजाय बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन ज्वाइन किया. हालांकि मुझे किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ने का अवसर मिला लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति अभियान दल में शामिल होने के लिए मेरा समर्थन नहीं कर रही है.”

रेणुका ने आगे कहा, “मुझे कोविड-19 महामारी के कारण निजी और सरकारी संस्थानों में पीईटी की कोई नौकरी नहीं मिली. इसलिए मैं एक सेल्सगर्ल के तौर पर काम कर रही हूं. मेरा किलिमंजारो पर्वत पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने का सपना है. अगर सरकार मदद करती है, तो मैं आदिवासी लड़कियों का हुनर ​​दिखाऊंगी.”

(ये लेख The New Indian Express में छपा है)

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