तमिलनाडु के अनामलाई टाइगर रिजर्व (ATR) के कुरुमलाई समेत कई आदिवासी बस्तियों के लोग आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. यहां के आदिवासियों ने कहा है कि14 फरवरी से वे अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू करने जा रहे हैं.
उनकी मांग है कि उनके गांवों को जोड़ने के लिए सड़क बनाई जाए. इसके लिए वे विभिन्न बस्तियों में पर्चे बांटकर समर्थन जुटा रहे हैं.
तमिलनाडु आदिवासी जनजातीय संघ के राज्य समिति सदस्य एन मणिकंदन ने इस प्रदर्शन की वजह बताते हुए कहा, “उदमलपेट्टई वन क्षेत्र के तहत आने वाले एटीआर में कुरुमलाई, कुलीपट्टी और मवदप्पू समेत 15 से अधिक आदिवासी गांव हैं. हम लगभग 50 वर्षों से इन पहाड़ी गांवों में सड़क की मांग कर रहे हैं. लगातार प्रदर्शनों के चलते 2023 में राज्य सरकार ने थिरुमूर्ति की तलहटी से कुरुमलाई गांव तक मिट्टी की सड़क बनाने के लिए 49 लाख रुपये मंजूर किए थे. लेकिन अब तक इस कार्य को पूरा नहीं किया गया है. इसमें वन विभाग के हस्तक्षेप के कारण देरी हो रही है.”
यहां की इन 15 बस्तियों में करीब 1,300 परिवार रहते हैं. इनमें से केवल आठ बस्तियों को उदमलपेट्टई-चिन्नार मार्ग से जोड़ने के लिए कच्चा रास्ता ही उपलब्ध है.
मणिकंदन ने कहा, “अगर थिरुमूर्ति की तलहटी से कुरुमलाई तक 6 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जाती है, तो सात बस्तियों के लोग आसानी से उदमलपेट्टई तक पहुंच सकेंगे. वर्तमान में, अगर हमें वहां पहुंचना हो तो अटप्पडी मार्ग से होकर 100 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है.”
यहां के कई लोगों ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि इमरजेंसी की स्थिति में भी रोगी को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाते हैं. इसलिए स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को सबसे पहले थिरुमूर्ति की तलहटी से कुरुमलाई तक सड़क निर्माण पूरा करना चाहिए.
इसके बाद अन्य बस्तियों तक सड़क विस्तार के लिए धन आवंटित किया जाना चाहिए. इस मांग को लेकर हम 14 फरवरी से उदमलपेट्टई में डीएफओ कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करेंगे.
इस मामले पर एटीआर वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम ग्रामीणों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। गुरुवार को भी इस पर चर्चा होगी. प्रस्तावित सड़क थिरुमूर्ति हिल्स से कुरुमलाई तक 6.2 किलोमीटर लंबी है. जिला कलेक्टर और हमने हाल ही में इस सड़क का निरीक्षण किया था. लेकिन कच्ची सड़क स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि यहां ढलान और हेयरपिन बेंड हैं. इसलिए स्थायी सड़क निर्माण के लिए नया अनुमान तैयार किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा कि चूंकि यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व के कोर ज़ोन में आता है और इसके लिए वन भूमि डायवर्जन की जरूरत होगी, इसलिए जिला वन अधिकारी से अनुमति लेनी होगी.
प्रशासन का कहना है कि इस सड़ को बनाने की अनुमति के लिए आवेदन जमा कर दिया गया है. इस अनुमति को हासिल करने में कम से कम एक या दो महीने का समय लग सकता है. उसके बाद ही कार्य शुरू किया जा सकता है.
इस सिलेसिले में धाली टाउन पंचायत के अधिकारियों ने बताया कि वे पहले ही सड़क निर्माण की मंजूरी के लिए आवेदन जमा कर चुके हैं.
अनामलाई टाइगर रिजर्व में आदिवासी बरसों से एक पक्की सड़क के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि स्थानीय प्रशासन का रैवया उदासीन है और वन विभाग लकीर का फ़कीर बना रहता है. देश के कई नेशनल पार्कों में इस तरह के मसले देखे जाते रहे हैं.