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अरुणाचल प्रदेश की आदि और अपातानी जनजातियों ने शांति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त घोषणापत्र पर किए हस्ताक्षर

घोषणापत्र में कहा गया है कि दोनों समुदाय आपसी सहमति से अंतर-जनजाति विवाह, सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करके सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखेंगे.

एकता को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक कलह को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अरुणाचल प्रदेश की दो प्रमुख जनजातियों आदि और अपतानी (Adi and Apatani tribe) ने रविवार को अपनी पारंपरिक बदला लेने की प्रथा को खत्म करने, अंतर-जनजाति विवाह और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक “संयुक्त घोषणा” पर हस्ताक्षर किए.

साल 2025 के पहले आदि-अपतानी शिखर सम्मेलन (Adi-Apatani Summit of 2025) के दौरान आदि-बहुल पूर्वी सियांग जिले के मुख्यालय पासीघाट में दोनों जनजातियों के शीर्ष संगठनों – आदि बाने केबांग (ABK) और तानी सुपुन डुकुन (TSD) के बीच घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए.

इस महत्वपूर्ण कदम का उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक कलह को रोकना और दोनों समुदायों और राज्य के विकास के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू, गृह मंत्री मामा नटुंग के अलावा दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई अन्य नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

मुख्यमंत्री ने एकता पर दिया जोर

मुख्यमंत्री खांडू ने कहा, “आज हम न केवल दो समुदायों के शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. बल्कि हम एकता, समझ और सांप्रदायिक सद्भाव के सदियों पुराने ताने-बाने को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता की जीत देख रहे हैं.”

उन्होंने दोनों जनजातियों के संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि यह घोषणा अन्य जनजातियों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित करेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घोषणा केवल कागज का एक टुकड़ा नहीं है. यह प्रेम, सम्मान और आपसी विश्वास के स्थायी मूल्यों का एक जीवंत प्रमाण है. जिसने पीढ़ियों से आदि और अपातानी दोनों संस्कृतियों को परिभाषित किया है.

खांडू ने बताया कि दोनों समुदायों के बीच लंबे समय से एक बंधन रहा है, जो प्राचीन अबोटानी के समय से चला आ रहा है, जिन्हें तानी जनजातियों के पूर्वज माना जाता है. आधुनिक युग में मतभेद चाहे छोटे हों या बड़े, अगर सतर्कता न बरती जाए तो संघर्ष में बदल सकते हैं.

खांडू ने कहा, “हम छोटी-मोटी गलतफहमियों या अफवाहों के कारण पीढ़ियों से सावधानीपूर्वक पोषित सद्भाव को बाधित नहीं होने दे सकते.”

उन्होंने इन चुनौतियों का सामना परिपक्वता, समझ और आपसी सम्मान के साथ करने की आवश्यकता पर बल दिया.

घोषणा में 13 प्रस्ताव अपनाए गए

घोषणापत्र में कम से कम 13 प्रस्तावों को अपनाया गया. जिसमें एक जनजाति के प्रथागत कानूनों को दूसरे पर न थोपना या किसी भी विवाद समाधान के लिए मिसाल देना, व्यक्तियों या समूहों द्वारा किए गए किसी भी आपराधिक या नागरिक अपराध को सांप्रदायिक मुद्दे के रूप में टैग करने की अनुमति नहीं देना शामिल है.

इसके अलावा किसी व्यक्ति, परिवार, कबीले या गांव के मोटर दुर्घटनाओं, विवाह, चोरी, संपत्ति और भूमि विवाद से संबंधित किसी भी व्यक्तिगत विवाद को सांप्रदायिक मुद्दा नहीं माना जाएगा.

घोषणापत्र में कहा गया है कि दोनों समुदाय आपसी सहमति से अंतर-जनजाति विवाह, सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करके सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखेंगे.

साथ ही वे अपने सदस्यों को सोलंग, उनयिंग एरन, एटोर, डोंगगिन, पोडी बार्बी, ड्री, मुरुंग और म्योको जैसे पारंपरिक त्योहारों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.

ताकि युवा पीढ़ी को आपस में घुलने-मिलने का अवसर मिले, साथ ही वे एक-दूसरे की संस्कृति और पहचान को सीख सकें और उसका सम्मान कर सकें.

इसके अलावा सभी विवाद या मुद्दे, चाहे वे व्यक्तिगत हों या सामुदायिक, बातचीत के माध्यम से हल किए जाएंगे.

तानी सुपुन डुकुन (Tanii Supun Dukun) के महासचिव और अपातानी लोगों के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक ताकू चतुंग (Taku Chatung) ने रविवार को मीडिया को बताया कि यह एक “ऐतिहासिक समझौता” है, जो सांप्रदायिक कलह का सौहार्दपूर्ण समाधान करेगा और सांप्रदायिक रंग लेने वाले तुच्छ संघर्षों को रोकेगा. इससे भाईचारा और सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा.

उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण थे, जब लोग बदला लेने के लिए पारंपरिक प्रणालियों का सहारा लेते थे. जैसे कि हमले के जवाब में हमला करना, चोरी का जवाब देने के लिए चोरी करना या फसलों को नष्ट करना. लेकिन घोषणापत्र संघर्ष और सांप्रदायिक तनाव में सहायता करने वाली ऐसी प्रथाओं को रोकेगा.

अरुणाचल प्रदेश की 26 प्रमुख जनजातियों में से दूसरी सबसे बड़ी जनजाति आदि मुख्य रूप से पूर्वी सियांग, ऊपरी सियांग, पश्चिमी सियांग और शि योमी जिलों में निवास करती है. जबकि एक लाख से कम आबादी वाले अपाटानी मुख्य रूप से निचले सुबनसिरी जिले में रहते हैं.  

इससे पहले और साल 2015 में अपातानी और निशी जनजाति ने सांप्रदायिक रूप से विविधतापूर्ण राज्य में एकता को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक कलह को रोकने के लिए इसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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