भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India) और देश भर के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (Tribal Research Institutes) ने 179 विमुक्त, अर्ध-घुमंतू और खानाबदोश जनजातियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों में शामिल करने की सिफ़ारिश की है.
नीति आयोग की पहल पर हुए इस अध्ययन में 268 विमुक्त, अर्ध-घुमंतू और खानाबदोश जनजातियों को वर्गीकृत किया गया है. ये जनजातियां देश के कम से कम 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हैं.
यह बताया गया है कि इन 268 जनजातियों में 85 ऐसे समूह हैं जिनकी पहली बार पहचान की गई है. इससे पहले किसी आयोग ने इन समूहों की पहचान नहीं की थी.
इन 85 समूहों में से 46 समुदायों को अन्य पिछड़ी जाति (OBC), 29 समुदायों को अनुसूचित जाति (SC) और 10 समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूचि में शामिल करने की सिफ़ारिश की गई है.
नीति आयोग की स्टडी में जिन नए समुदायों की पहचान की गई है उनमें से उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 19 समुदाय हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में 8-8 समुदायों को जोड़ा गया है.
इसके अलावा इस अध्ययन के आधार पर कम से कम 9 समुदायों को सही सूचि में डालने की सिफ़ारिश भी है. इस स्टडी में यह भी सामने आया है कि कुल 268 समुदायों में से कई को पहले से ही किसी ना किसी अनुसूचित जाति, जनजाति या ओबीसी सूचि में रखा गया है.
लेकिन इन्हें या तो राज्य की सूचि में ही रखा गया है या फिर अगर केंद्र की सूचि में रखा गया है तो वह भी कुछ राज्यों के लिए ही रखा गया है.