HomeAdivasi Dailyआदिवासी वोट बैंक गुजरात के चुनाव का फ़ोकस बनता जा रहा है

आदिवासी वोट बैंक गुजरात के चुनाव का फ़ोकस बनता जा रहा है

अमित शाह ने कहा कि आज 98.3 फीसदी आदिवासी गांवों को गुजरात में मुख्य सड़कों से सड़क संपर्क मिलता है. बीजेपी सरकार ने दाहोद, वलसाड और बनासकांठा में मेडिकल कॉलेज शुरू किए थे और हमारे भूपेंद्रभाई (गुजरात के मुख्यमंत्री) ने गुजरात के नवसारी, तापी, नर्मदा और पंचमहल में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी थी. इसलिए आदिवासी छात्रों को मेडिसिन की पढ़ाई के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा.

गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी चुनावी मोड में आ गई है और राज्य के सियासी रण में पूरा जोर लगा रही है. इसको लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद एक्टिव हो गए हैं. जेपी नड्डा ने बहुचराजी से आशापुरा कच्छ और द्वारिका से पोरबंदर की गुजरात विकास यात्रा की शुरुआत करवायी.

वहीं आमित शाह ने अहमदाबाद के झाझरका से सोमनाथ और नवसारी में उनाई माता मंदिर से फागवेल और उनाई माता मंदिर से अंबाजी तक की यात्रा को हरी झंडी दिखाई.

गौरव यात्रा के शुभारंभ के बाद अमित शाह ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 58 वर्षों तक देश पर शासन किया और आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय का गठन और एससी/एसटी आयोग का गठन जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब किया गया था.

शाह ने गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में वनबंधु कल्याण योजना शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय दिया और कहा, “भूपेंद्रभाई (गुजरात के मुख्यमंत्री) ने मुझे बताया कि उन्होंने एक संकल्प लिया था कि एक बार जब हम विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाते हैं, तो हम उनाई माता मंदिर का पुनर्विकास करेंगे.”

उनाई से अंबाजी तक 1068 किलोमीटर के मार्च में, बीजेपी ने 28 जनसभाओं के साथ नौ दिनों में 14 जिलों और 31 विधानसभा सीटों को कवर करने की योजना बनाई है.

यात्रा में सूरत, तापी, नवसारी और डांग जिलों से आए लोग शामिल हुए. सूत्रों ने कहा कि बीजेपी ने शाह की बैठक के लिए उनाई को चुना क्योंकि यह स्थान उनाई माता मंदिर में गर्म पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जो आदिवासियों द्वारा पूजे जाने वाले देवता हैं. यात्रा शुरू करने से पहले शाह ने मंदिर का दौरा किया था.

उनाई माता मंदिर के प्रशासन दल के एक सदस्य हिमांशु गोस्वामी ने कहा, “गांव में भगवान राम और सीता की उपस्थिति की प्राचीन जड़ें हैं. आज भी बहुत से लोग उनाई माता मंदिर जाते हैं और त्वचा और अन्य बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए गर्म पानी की धारा में स्नान करते हैं. इस गर्म पानी की धारा में आदिवासी ही नहीं, बल्कि सभी लोगों की गहरी आस्था है.”

अमित शाह ने कहा कि गुजरात में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम पहले ही लागू किया जा चुका है और राज्य सरकार ने गुजरात में 91 हज़ार 884 आदिवासी आबादी को 1.52 लाख एकड़ जमीन आवंटित की है. नरेंद्रभाई से लेकर भूपेंद्रभाई तक अब तक 11 लाख एकड़ जमीन में सिंचाई की सुविधा लागू की जा चुकी है.

शाह ने कहा कि सरकार ने 122 सबस्टेशन स्थापित करने के लिए 984 करोड़ रुपये खर्च किए हैं ताकि उमरगाम से अंबाजी तक के आदिवासी इलाकों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो सके.

उन्होंने कहा, “आज 98.3 फीसदी आदिवासी गांवों को गुजरात में मुख्य सड़कों से सड़क संपर्क मिलता है. बीजेपी सरकार ने दाहोद, वलसाड और बनासकांठा में मेडिकल कॉलेज शुरू किए थे और हमारे भूपेंद्रभाई (गुजरात के मुख्यमंत्री) ने गुजरात के नवसारी, तापी, नर्मदा और पंचमहल में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी थी. इसलिए आदिवासी छात्रों को मेडिसिन की पढ़ाई के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा.”

कांग्रेस पर हमला करते हुए शाह ने कहा कि सोनिया (गांधी) और मनमोहन (सिंह) सरकारों के दौरान रोजाना पाकिस्तानी आतंकवादी सीमा पार करते थे और हमारे जवानों का सिर काटते थे और केंद्र सरकार में बैठे लोग चुप रहते थे. आपने नरेंद्रभाई को प्रधानमंत्री बनाया…उरी और पुलवामा में हमला हुआ…पाकिस्तान भूल गया कि भारत में सरकार बदल गई है. नरेंद्रभाई ने सिर्फ 10 दिनों में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया और बदला लिया.

बीजेपी ने ने बुधवार और गुरुवार को अलग-अलग स्थानों से पांच गुजरात गौरव यात्राएं शुरू कीं.

गुजरात गौरव यात्रा के जरिए बीजेपी आदिवासी वोट बैंक को लुभाने की कोशिश में लगी है. आदिवासी वोट बैंक को यहां कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कहा जाता है. बीजेपी बखूबी जानती है कि अगर उन्हें अपने 150 से ज्यादा सीट के टारगेट को हासिल करना है तो ये आदिवासी वोट के बिना संभव नहीं है.

गुजरात में आदिवासी वोट बैंक

गुजरात में अगर आदिवासी वोट बैंक की बात की जाए तो, यहां 15 फीसदी आदिवासियों का वोट बैंक है. इसका सीधा असर गुजरात की 27 से ज्यादा सीटों पर देखने को मिलता है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इसे अपनी ओर खींचने के प्रयास करती रहती हैं.

वहीं इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. आदिवासी वोट बैंक को वर्षों से कांग्रेस का पांरपारिक वोट बैंक माना जाता है और कांग्रेस भी इस बार अपना वोट बैंक किसी ना किसी तरह से बनाए रखना चाहती है.

गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से आदिवासियों का 27 सीटों पर असर है. 2007 में कांग्रेस ने 27 में से 14 सीटें प्राप्त की थी. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटें प्राप्त की थी और 2017 की भी बात करें तो यहां से कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं ओर बीजेपी को 9 सीट ही मिली पाई थी. मतलब कि यहां पर कांग्रेस की अच्छी खासी पकड़ रही है. यहां दो सीट बीटीपी को मिली थी. दो अन्य निर्दलीय थे, जो बाद में बीजेपी में शामिल हुए.

गुजरात में पिछले पांच साल में कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसे लेकर आदिवासी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. जिसमें दक्षिण गुजरात में तापी नर्मदा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट है. इसको लेकर दक्षिण गुजरात में काफी विरोध प्रदर्शन  हुआ था.

हजारों आदिवासी समाज के लोग सड़कों पर आ गए थे. आदिवासी समाज एक होकर आंदोलन कर रहा था. काफी विरोध होने पर सरकार अपने बचाव की मुद्रा में आ गई थी और आखिरकार इस फैसले को स्थगित कर दिया. क्योंकि चुनाव से पहले सरकार आदिवासियों को नाराज करने का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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