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त्रिपुरा में बीजेपी गठबंधन सरकार को झटका, एक और विधायक ने दिया इस्तीफा

धनंजय के इस्तीफे ने अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 60 सदस्यीय सदन में गठबंधन सरकार की ताकत को घटाकर 41 कर दिया है. अब 60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा में बीजेपी के पास 35 विधायक हैं, जबकि आईपीएफटी की ताकत छह है.

त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन सरकार को शुक्रवार को एक नया झटका लगा. बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन के एक और आदिवासी विधायक ने इस्तीफा दे दिया. इस संकेत के साथ कि वह टीआईपीआरए मोथा (TIPRA Motha) में शामिल होने के लिए तैयार थे.

आईपीएफटी (Indigenous People’s Front of Tripura) के सदस्य धनंजय त्रिपुरा (Dhananjoy Tripura) ने स्पीकर रतन चक्रवर्ती को अपना इस्तीफा सौंप दिया. आईपीएफटी त्रिपुरा में सत्ताधारी बीजेपी का सहयोगी दल है. विधानसभा अध्यक्ष रतन चक्रवर्ती ने बताया कि आईपीएफटी के विधायक ने आज इस्तीफा दिया है. उनका इस्तीफा सौंप लिया गया है और गजट नोटिफिकेशन के लिए भेज दिया गया है.

धनंजय से पहले, बीजेपी विधायक बरबू मोहन त्रिपुरा और आईपीएफटी विधायक बृशकेतु देबबर्मा ने अपनी-अपनी पार्टियों और सीटों को छोड़कर टीआईपीआरए मोथा में शामिल हो गए थे.

त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व में, टीआईपीआरए मोथा आईपीएफटी की जगह राज्य में सबसे मजबूत जनजातीय मोर्चे के रूप में तेज़ी से उभर रहा है.

धनंजय का सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर होना बीजेपी के आदिवासी विधायक बरबू मोहन त्रिपुरा के पार्टी से इस्तीफा देने के तीन हफ्ते बाद आया है. उन्होंने कहा कि वो तिप्रसा के लिए काम करना चाहते हैं.

धनंजय के इस्तीफे ने अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 60 सदस्यीय सदन में गठबंधन सरकार की ताकत को घटाकर 41 कर दिया है. अब 60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा में बीजेपी के पास 35 विधायक हैं, जबकि आईपीएफटी की ताकत छह है. 2018 चुनाव में बीजेपी ने 36 जबकि आईपीएफटी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी.

31 वर्षीय धनंजय, जो 2018 में धलाई जिले के रैमावेल्ली विधानसभा क्षेत्र से जीते थे, शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपने के दौरान वो तिप्रा मोथा पार्टी के प्रद्योत किशोर देबबार्म के साथ देखे गए थे. मोथा के सूत्रों ने कहा कि धनंजय शनिवार को अगरतला में एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से टीआईपीआरए मोथा में शामिल होंगे.

अपना इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, धनंजय ने कहा, “2014 में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद, मैंने लंबे समय तक आईपीएफटी के लिए काम किया. मैंने इस्तीफा दे दिया है क्योंकि मुझे लगता है कि एक तिप्रसा के रूप में, मुझे दोफा (समुदाय) बनाने के लिए काम करना चाहिए. विधायक का पद स्थायी पद नहीं होता बल्कि दोफा स्थायी होता है.”

धनंजय के साथ जाने के बारे में देबबर्मा ने संवाददाताओं से कहा, “धनंजय ने कहा कि वह अब विधायक के रूप में नहीं रहना चाहेंगे और ग्रेटर टिपरालैंड के थानसा (एकता) और दोफा के लिए काम करेंगे.”

टीआईपीआरए मोथा ने बाद में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि धनंजय ने आईपीएफटी के अंदर “घुटन” महसूस किया.

देबबर्मा ने कहा, “वह तिप्रसा के लिए आवाज नहीं उठा सके. वह कुछ मुद्दों पर विधानसभा के अंदर और बाहर बोलना चाहते थे लेकिन आईपीएफटी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि इससे गठबंधन को असुविधा होगी. एक युवा होने के नाते धनंजय ने मुझसे संपर्क किया और बिना शर्त सहमत हुए और मेरे साथ जुड़ गए.”

टीआईपीआरए मोथा को 2021 की शुरुआत में ग्रेटर टिपरालैंड के आह्वान के साथ शुरू किया गया था. राज्य के आदिवासियों, असम, मिजोरम और पड़ोसी बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में रहने वाले त्रिपुरी आदिवासियों के लिए एक प्रस्तावित अलग राज्य के साथ.

मोथा के जारी होने के दो महीने बाद, इसने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्रों के स्वायत्त जिला परिषद चुनावों में जीत हासिल की और खुद को प्रमुख आदिवासी पार्टी के रूप में स्थापित किया.

कोई भी पार्टी जो आदिवासी वोट को स्विंग करा सकती है, त्रिपुरा में उसका बहुत बड़ा प्रभाव है, क्योंकि 60 विधानसभा सीटों में से 20 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं, और 10 अन्य में जनजातीय मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं.

एक सूत्र ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के कई अन्य विधायक मोथा के साथ बातचीत कर रहे हैं. ये अटकलें पूर्व मंत्री और आईपीएफटी के पूर्व महासचिव मेवर कुमार जमातिया के गुरुवार को शाही महल में टीआईपीआरए मोथा सुप्रीमो देबबर्मा से मिलने के बाद से तेज़ हो गई है. मेवर कुमार को आईपीएफटी सुप्रीमो और आदिवासी विचारक एन सी देबबर्मा के साथ प्रतिद्वंद्विता के कारण त्रिपुरा मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था.

(Photo Credit: Twitter)

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