मणिपुर की जातीय हिंसा ने कम से कम 220 लोगों की जान ले ली है और 60 हज़ार से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मणिपुर के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते रहे हैं.
अब लोकसभा में मंगलवार (30 जुलाई) को बजट पर चर्चा के दौरान आउटर मणिपुर के कांग्रेस सांसद अल्फ्रेड कनंगम एस. आर्थर ने अपने राज्य के हालातों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा.
लोकसभा में उन्होंने कहा कि मणिपुर में लोगों को शरणार्थी बने हुए 15 महीने बीत जाने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य का दौरा करने का कोई संकेत नहीं है. उन्होंने दुख जताया कि भाजपा एक मुख्यमंत्री (बीरेन सिंह) को बदलने में सक्षम नहीं है जो अभी भी “मारो पीटो” की भाषा बोल रहे हैं.
कांग्रेस के सांसद अर्थर ने कहा कि प्रधानमंत्रीजी को लेकर मुझे लगता है कि अच्छे आदमी हैं. दिल खुला है. तगड़े आदमी हैं और समझदार हैं. उन्होंने कहा कि अपने देशवासियों को खाना-पीना तक नहीं मिल पा रहा है. 15 महीने से रिफ्यूजी कैंप में हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि किसको पुकारूं.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि अपने मुख्यमंत्री से आप पूछ लीजिए. उनके (मुख्यमंत्री के) मुंह से जो शब्द निकलते हैं, आए दिन वह बस मारने-पीटने की ही बात करते हैं. क्या है ये. ये मेरा देश है क्या.
अल्फ्रेड ने कहा कि एक समुदाय को लगता है कि संघर्ष के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं और शांति लाने के लिए एक व्यक्ति को बदलना इतना मुश्किल क्यों है, जब उससे शांति आ सकती है.
उन्होंने कहा, “अगर आप 30 लाख लोगों के एक छोटे से राज्य में शांति नहीं ला सकते तो आप इतने बड़े देश में क्या करेंगे?”
बजट चर्चा पर संबोधन लोकसभा में कम उपस्थिति के कारण मौन रूप से सुना गया क्योंकि आर्थर की आवाज़ और ताल जातीय अराजकता और आंतरिक विस्थापन में फंसे राज्य के दर्द को व्यक्त करने की कोशिश कर रही थी.
सांसद आर्थर, जिन्होंने खुद को “संघर्ष में तटस्थ रहने वाले नागा समुदाय” से संबंधित बताया.
उन्होंने कहा कि वे सभी जाति और धर्म के लोगों के साथ बड़े हुए हैं, बिना यह कहने की आवश्यकता महसूस किए कि “मैं एक ईसाई हूं… मुझे ऐसा करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए थी लेकिन आज मुझे इस देश के नियमों और कानूनों के तहत एक स्वतंत्र भारतीय होने की अपनी इच्छा व्यक्त करने का यह डर और आवश्यकता क्यों है.”
उन्होंने कहा, “हम दस साल से मन की बात सुन रहे हैं. क्या आप उन महिलाओं और बच्चों की चीखें नहीं सुन सकते जो अपने घर वापस नहीं जा सकते?”
आर्थर ने कहा कि उनके दादा मेजर बॉब खाथिंग ने भारत को अरुणाचल प्रदेश का तवांग क्षेत्र दिलाने में भूमिका है.
उन्होंने खुद को देश के लिए खून बहाने वाले परिवार से संबंधित बताते हुए कहा, “आज, आप मेरे राज्य को जला रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि जब वे 1950 के दशक में राष्ट्र की सेवा करने के लिए आगे बढ़े थे तो उन्होंने कभी सोचा था कि यह देश अपने लोगों को जाने देगा.”
उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग कहते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है. हम सबको न्याय दिलाएंगे. सुनने में तो बड़ा अच्छा लगता है. लेकिन मणिपुर के लिए न्याय कहां है, क्योंकि उन्होंने राज्य का दौरा करने के लिए विपक्ष का नाम लेकर धन्यवाद दिया.
आउटर मणिपुर के सांसद ने कहा कि पूछना चाहता हूं कि आज कहां है मणिपुर का न्याय. हम देश के गद्दार नहीं हैं. जिन्होंने मुझे यहां भेजा है, उनका सवाल उठाना मेरा हक है. मेरे राज्य मणिपुर में पिछले 15 महीनों से क्या हो रहा है. ये जोक नहीं है.
उन्होंने कहा कि 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद कोई ऐसा सप्ताह नहीं था जब कोई केंद्रीय मंत्री मणिपुर नहीं जाता था. हर हफ्ते कोई न कोई केंद्रीय मंत्री मणिपुर में होता था. आज वे कहां हैं 3 मई 2023 के बाद से?
कांग्रेस सांसद कनंगम एस अर्थर ने कहा कि 15 महीने गुजर गए हमारे राज्य के लोगों को इस संघर्ष में, कृपया आप मुझे 15 मिनट सुन लीजिए.
उन्होंने कहा कि मैं नगा कम्युनिटी से आता हूं जो इस संघर्ष में न्यूट्रल है. हमने किसी का भी साइड नहीं लिया है. हमारी सोच है कि हम न्यूट्रल रहें, एक दिन शांति आएगी. हमारे विपक्ष के नेता तीन बार मणिपुर आए और हम इसके लिए उनके आभारी हैं. इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर मुद्दे को इस सदन में जीवंत रखा. एस अर्थर ने कहा कि एक डेलिगेशन राज्यपाल से मिलने गया था, मैं भी उसका पार्ट था.
उन्होंने कहा कि मणिपुर में शांति कैसे आएगी? हमने इसे लेकर दो स्पष्ट सुझाव दिए थे. हमने बताया था कि नगा कम्युनिटी इस संघर्ष का पार्ट नहीं है. हमने राज्यपाल से आग्रह किया था कि नगा नेताओं की मदद लीजिए और शांति के लिए कूकी और मैतेई इलाकों में शांति का संदेश देने में उनकी मदद लीजिए.