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केंद्र ने आदिवासी कल्याण के लिए 79,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं: जुएल ओराम

ओराम ने बताया कि आदिवासी इलाकों में मोबाइल मेडिकल यूनिट और इंटरनेट सुविधा शुरू की जाएगी. इन केंद्रों में कैंसर समेत कई बीमारियों का पता लगाने के आधुनिक उपकरण भी होंगे.

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम (Jual Oram) ने गुरुवार को कहा कि देश के आदिवासी इलाकों में मकान, सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं और पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 79 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

दक्षिण गोवा के संगुएम में धरती आबा जनभागीदारी अभियान (Dharti Aaba Janabhagidari Abhiyan) के एक जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने कभी यह स्वीकार नहीं किया कि आदिवासी समुदायों की समस्याएं समाज के बाकी हिस्सों से अलग हो सकती हैं.

इस कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर और सामाजिक कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई भी शामिल हुए थे.

आदिवासी नेता जुएल ओराम ने कहा, “2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही आदिवासी कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया, जिसका बजट काफी बड़ा था.”

उन्होंने कहा कि मंत्रालय का शुरुआती बजट 8,000 करोड़ रुपये था.

उन्होंने कहा, “कभी-कभी मेरी रातों की नींद उड़ जाती है. हमारे पास 79,000 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट है. इस बजट का इस्तेमाल राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए करना चाहिए.”

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (जिसे प्रधानमंत्री धरती आबा अभियान भी कहा जाता है) दो अक्टूबर 2024 को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य पूरे भारत में आदिवासी बाहुल्य गांवों का व्यापक उत्थान करना है.

इस योजना का उद्देश्य भारत के सभी आदिवासी गांवों के सर्वांगीण विकास करना है.

ओराम ने बताया कि इस योजना को पूरी धनराशि मिल गई है. 17 मंत्रालय मिलकर आदिवासी गांवों के विकास पर काम करेंगे. प्रधानमंत्री आवास योजना से सभी को घर मिलेंगे, और 25,000 किलोमीटर लंबा ग्रामीण सड़क नेटवर्क भी बनाया जाएगा. ‘नल से जल’ योजना से हर आदिवासी गांव में नल का पानी पहुँचाया जाएगा.

ओराम ने बताया कि आदिवासी इलाकों में मोबाइल मेडिकल यूनिट और इंटरनेट सुविधा शुरू की जाएगी. इन केंद्रों में कैंसर समेत कई बीमारियों का पता लगाने के आधुनिक उपकरण भी होंगे.

उन्होंने कहा, “इन मोबाइल मेडिकल यूनिट को साप्ताहिक बाजारों में खड़ा किया जाएगा, जहां वे लोगों की जांच करेंगे.”

उन्होंने बताया कि इस केंद्रीय योजना में राज्य के आदिवासी निगमों और आदिवासी वित्त निगमों को धन दिया जा सकता है. जिससे आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति मिल सके और वन अधिकार अधिनियम से जुड़े मामलों का निपटारा जल्दी हो सके.

उन्होंने आदिवासी कल्याण मंत्रालय अपने पास रखने के लिए सीएम सावंत को बधाई दी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आमतौर पर कोई सीएम आदिवासी कल्याण मंत्रालय अपने पास नहीं रखता. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि वह आदिवासियों की कितनी परवाह करते हैं.

मुख्यमंत्री सावंत ने कहा कि आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करना भाजपा के डीएनए में है. उन्होंने कहा कि भले ही उनका आदिवासियों से कोई रक्त संबंध न हो लेकिन समुदाय के साथ उनका भावनात्मक और सामाजिक जुड़ाव है.

सावंत ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों में आदिवासियों के कल्याण के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि इस समुदाय की समस्याओं को समझने के लिए एक आदिवासी अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है.

उन्होंने बताया कि वे स्वास्थ्य समस्याओं पर अध्ययन करेंगे और आदिवासी संस्कृति को भी समझेंगे.

सीएम सावंत ने कहा कि राज्य एक आदिवासी संग्रहालय बनाने की योजना पर काम कर रहा है.  साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कुनबी साड़ी को बढ़ावा दे रही है, जिस पर उन्हें गर्व है.  अगले तीन महीनों में संगुएम में दस करोड़ रुपये की लागत से एक कुनबी गांव बनाया जाएगा.

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