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आंध्र प्रदेश: वन विभाग से सड़क बनाने की अनुमति मांगने के लिए शुरू होगी ‘चलो पाडेरू डोली यात्रा’

इस समस्या से निपटने के लिए 150 गाँववासियों ने गुम्मंती से राचाकिलम तक दो किलोमीटर की सड़क को खुद बनाने की कोशिश की थी. लेकिन जल्द ही वन अधिकारियों द्वारा इस सड़क निर्माण के कार्य को रोक दिया गया.

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju) ज़िले में एक आदिवासी गर्भवती महिला (tribal pregnant woman) को प्रसव पीड़ा होने के बाद डेरथी गाँव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डोली के सहारे ले जाया गया.

आदिवासी गर्भवती महिला का नाम कोंडाताम्बली राधा बताया जा रहा है. राधा एएसआर ज़िले (ASR district) के मादरेबू गाँव (Madrebu village) की रहने वाली है. राधा का परिवार पीवीटीजी यानी विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति की श्रेणी में आता हैं.

यह घटना 27 दिसंबर, बुधवार की बताई जा रही है, जब गर्भवती राधा को प्रसाव पीड़ा शुरू हुई. जिसके बाद राधा के पति, लक्ष्मण राव और गाँव के अन्य लोगो द्वारा उसे डोली के सहारे 7 किलोमीटर का रास्ता तय करके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया.

जंगलों और पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी अक्सर इस समस्या का सामना करते आए हैं. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या फिर बेहतर सड़क सुविधा न होने के कारण इन आदिवासी गाँवों में जब किसी भी बीमार व्यक्ति या गर्भवती महिलाओं को अस्पाताल तक ले जाने के लिए एकमात्र साधन ये डोली ही होती हैं.

इस समस्या से निपटने के लिए 150 गाँववासियों ने गुम्मंती से राचाकिलम तक दो किलोमीटर की सड़क को खुद बनाने की कोशिश की थी.

ग्रामीणों की इस कोशिश को देखते हुए अनंतगिरि एमपीडीओ ने रोजगार गारंटी योजना के तहत 20 लाख रुपये भी मंजूर कर दिए थे. लेकिन जल्द ही वन अधिकारियों द्वारा इस सड़क निर्माण के कार्य को रोक दिया गया.

गाँव के एक आदिवासी समुदाय द्वारा अनंतगिरि के विशेष कार्यक्रम में इस मामले की शिकायत भी की गई थी. लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

इसी संदर्भ में आदिवासी नेता के. गोविंदराजू ने कहा, “सभी विधायक, सांसद और मंत्री अच्छी सड़कों पर ही यात्रा करना पसंद करते हैं. उन्हें हमारे इस पहाड़ी गाँव में आना चाहिए और देखना चाहिए की हम यहां किन परिस्थितियों में रहें रहे हैं.”

इसके अलावा उन्होंने कहा हमने कई बार ज़िला कलेक्टर को याचिका दी है, जिसमें हमने ये कहा है की अगर वन विभाग सड़क बनाने की अनुमति देता है तो वे पहाड़ी गाँवो तक सड़क का निर्माण खुद करेंगे.

वन अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को ये धमकी दी गई है की अगर उन्होंने वन आधिकारियों की अनुमति के बिना सड़क निर्माण की कोशिश की तो वो उन पर केस दर्ज कर देंगे.

ऐसे में ग्रामीणों ने ये निर्णय लिया है की वो अगले साल के जनवरी में ‘चलो पाडेरू डोली यात्रा’ की शुरूआत करेंगे. इस यात्रा के दौरान वे वन विभाग पर सड़क की अनुमति देने के लिए ज़ोर डालेंगे.

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