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ग्रेट निकोबार में प्रस्तावित प्रोजेक्ट से शोम्पेन आदिवासियों के अस्तिव को ख़तरा – कांग्रेस

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने ग्रेट निकोबार में चल रहे मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट को निलंबित करने और निष्पक्ष समीक्षा करने की मांग की है. उनका दावा है कि इस प्रोजेक्ट से शोम्पेन आदिवसियों के अस्तिव को खतरा है

सोमवार को कांग्रेस के नेता जयराम रमेश (Jayram Ramesh) ने ग्रेट निकोबार (Great Nicabor) में चल रहे मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट (Mega Infra Project) को निलंबित करने और निष्पक्ष समीक्षा करने की मांग की है.

कांग्रेस नेता ने यह आरोप लगाया है कि यह प्रोजेक्ट द्वीप के आदिवासियों (Tribes of Andaman and Nicobar) के लिए गंभीर खतरा है.

उन्होंने यह भी दावा किया है की बीजेपी पार्टी द्वारा लाया गया मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 72 करोड़ का मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट ग्रेट निकोबार द्वीप के प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बड़ा ख़तरा साबित हो सकता है.

नीति आयोग के कहने पर मार्च 2021 में इस परियोजना की शुरूआत की गई थी. इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने 13,075 हेक्टेयर भूमि दी थी. जो द्वीप का लगभग 15 प्रतिशत भाग है.

कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि इतने बड़े क्षेत्रफल को नुकसान पहुंचाने के कारण इसका विकल्प हरियाणा राज्य में बनाया जा रहा है. लेकिन हरियाणा, ग्रेट निकोबार से हज़ारों मीलों दूर है. जिससे यहां मौजूद पारिस्थितिकी तंत्र को कोई मदद नहीं मिलेगी.

यह भी पता चला है कि जिस समुद्री तट के किनारे यह मेगा प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है, वहां भूकंप की संभावना भी जताई गई है.

दिसंबर 2004 में सुनामी के दौरान लगभग 15 फीट की स्थायी गिरावट देखी गई थी. इसके अलावा कांग्रेस ने यह भी इल्ज़ाम लगाया है कि इस परियोजना से द्वीप के आदिवासी समुदाय शोम्पेन के अस्तिव को बड़ा ख़तरा हो सकता है.

शोम्पेन समुदाय विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति (PVTG) की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा दुनिया भर से 39 विशेषज्ञों ने भी केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि इस परियोजना से शोम्पेन जनजाति के अस्तिव को ख़तरा हो सकता है. इन सब के बवाजूद केंद्र सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी.

इसके अलावा कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रशासन ने द्वीपों की जनजातीय परिषद से कानूनी तरीके से परामर्श नहीं लिया है.

कांग्रेस के नेता ने यह भी दावा किया कि ग्रेट निकोबार द्वीप जनजातीय परिषद ने वास्तव में परियोजना पर आपत्ति जताई है.

इसके साथ ही कांग्रेस के नेता ने कहा की जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने केंद्र को यह जानकारी दी थी कि द्वीप की शोम्पेन नीति की अनदेखी की जा रही है. लेकिन केंद्र ने फिर भी अपनी चुपी बरकार रखी.

द्वीप की शोम्पेन नीति के अनुसार अधिकारियों को बड़े पैमाने पर विकास करने से पहले जनजातियों के कल्याण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है.

उन्होंने यह भी दावा किया की ऐसा लगता है कि प्रशासन ने सविंधान के अनुच्छेद 338(9) का उल्लघंन किया है. इस अनुच्छेद के अनुसार तहत अनुसूचित जनजाति आयोग से परामर्श लेना अनिवार्य है.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम में शोम्पेन और निकोबारियों को नज़रअंदाज किया गया है.

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