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कांग्रेस का ST आयोग से वन अधिकार कानून के उल्लंघन पर संज्ञान लेने का अनुरोध

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एनसीएसटी को लिखे राजू के पत्र को ट्विटर पर साझा किया और नियमों को ‘आदिवासी विरोधी’ बताया. उन्होंने नए नियम लाने के केंद्र के कदम की आलोचना की.

कांग्रेस ने केंद्र द्वारा वन अधिकार कानून में नये नियमों के मसले पर आपत्ति जतायी है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से वन अधिकार कानून, 2006 के कथित ‘‘उल्लंघन’’ पर संज्ञान लेने और केंद्र को जनहित में नए वन संरक्षण नियमों को वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

पार्टी ने आरोप लगाया कि नए वन संरक्षण नियमों से अनुसूचित जनजाति और वन क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों (OTFDs) की शक्ति कम होगी, निर्वासन और विस्थापन होगा और इससे आदिवासी इलाकों में संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक विभागों के राष्ट्रीय संयोजक के. राजू ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 29 जून को नए वन (संरक्षण) नियम, 2022 को अधिसूचित किया और आरोप लगाया कि इन नियमों को हितधारकों के साथ किसी भी सार्वजनिक परामर्श के बिना अधिसूचित किया गया है.

के. राजू ने अपने पत्र में कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 पहले 2003 के वन संरक्षण नियम और 2004, 2014 और 2017 में हुए संशोधनों के स्थान पर लाए गए हैं.

राजू ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 एफआरए अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी औपचारिकताओं और वन भूमि के उपयोग में बदलाव से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लेने को कमतर करके वन अधिकार अधिनियम, 2006 का पूरी तरह ‘‘उल्लंघन’’ करता है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 की अधिसूचना से अनुसूचित जनजाति और वन क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों के अधिकारों को तय किए बिना और ग्राम सभा की मंजूरी लिए बिना राज्यों में वन भूमि को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं या खनन के लिए इस्तेमाल करने दिया जाएगा.

जाहिर है, केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति और वन क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों के कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्य का त्याग करती है और राज्य सरकारों को वन भूमि के डायवर्जन के लिए केंद्र सरकार की अंतिम मंजूरी प्राप्त करने के बाद एफआरए के अनुपालन की मांग करने के लिए मजबूर करती है.

के. राजू ने कहा कि एफसी नियम 2022 की अधिसूचना से एसटी और ओटीएफडी के अधिकारों का निपटारा किए बिना और ग्राम सभाओं की सहमति के बिना राज्यों में वनों का डायवर्जन होगा.

उन्होंने पत्र में कहा, “एनसीएसटी से एफसी नियम 2022 की अधिसूचना के कारण एफआरए और एसटी के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान देने और केंद्र सरकार और एमओईएफसीसी को जनहित में नियमों को वापस लेने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया जाता है.”

राजू ने एनसीएसटी से एमओईएफसीसी को नियमों की अधिसूचना से पहले सार्वजनिक परामर्श और संसदीय जांच के लिए स्थापित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया.

उन्होंने एनसीएसटी से वन डायवर्जन की मंजूरी से पहले एफआरए का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एमओईएफसीसी और एमओटीए को निर्देश देने का भी अनुरोध किया.

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