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CPI(M) ने त्रिपुरा के गंडातविसा में हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की

सीपीआई(एम) नेता जितेंद्र चौधरी ने हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे और संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा कवर की मांग की.

पिछले महीने त्रिपुरा के धलाई जिले में दो गुटों के बीच हुई झड़प में एक आदिवासी छात्र की मौत के बाद कई दुकानों में आग लगा दी गई थी और घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. ऐसे में अब सीपीआई(एम) ने शुक्रवार को इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

सीपीआई(एम) ने कहा कि धलाई जिले के गंडातविसा में दंगे और आगजनी की वजह से करीब “165 परिवार बेघर हो गए” और हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की.

पार्टी के एक नेता ने बताया कि सीपीआई(एम) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा किया और प्रभावित लोगों से बातचीत की.

सीपीआई (एम) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “कॉलेज के एक छात्र की मौत के अलावा दुकानों और घरों को लूटा गया और आग लगा दी गई. ये सभी घटनाएं पुलिस की मौजूदगी में हुईं. दहशत में आए लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा और जंगलों में रहना पड़ा. करीब 165 परिवार बेघर हो गए और उन्होंने एक स्कूल में शरण ली है.”

हालांकि, जिला प्रशासन ने पहले कहा था कि गंडातविसा में हुए दंगों और आगजनी के कारण 40 परिवार बेघर हो गए.

जितेंद्र चौधरी ने आगे कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार कॉलेज छात्र परमेश्वर रियांग की मौत और दुकानों और घरों की लूटपाट समेत सभी घटनाओं की निष्पक्ष जांच करे. अगर ऐसे कृत्यों में शामिल अपराधियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया तो यह समाज पर कलंक होगा.”

सीपीआई(एम) नेता ने हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे और संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा कवर की मांग की.

चौधरी ने कहा कि सरकार को गंडातविसा में आदिवासी और गैर-आदिवासी लोगों के बीच विश्वास वापस लाने के लिए शांति पहल करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “1980 में सांप्रदायिक दंगों और 1990 के दशक के अंत में राज्य में अशांति के दौरान तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने त्रिपुरा भर में शांति बैठकें आयोजित की थीं. इस तरह के प्रयासों से उत्साहजनक परिणाम मिले थे. इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार विश्वास बहाली के उपाय के रूप में शांति बैठकें आयोजित करे.”

साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री माणिक साहा से मुख्य सचिव, डीजीपी और राजस्व सचिव के साथ हिंसा प्रभावित गंडातविसा का तत्काल दौरा कर स्थिति का जायजा लेने का आग्रह किया.

कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग

इससे पहले त्रिपुरा की कांग्रेस यूनिट ने इस पूरे मामले की हाई कोर्ट के वर्तमान जज से न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है.

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने बताया, “मंगलवार को त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस समिति की 5 सदस्यीय टीम ने गंडातविसा में स्थिति का जायजा लेने के लिए परमेश्वर रियांग और हिंसा प्रभावित अन्य लोगों के घरों का दौरा किया.”

उन्होंने आगे कहा, “पुलिस की मौजूदगी में परमेश्वर रियांग गंभीर रूप से घायल हुआ. लूटपाट, दंगा और आगजनी भी पुलिस कर्मियों के सामने हुई. इसलिए हमने न्यायिक जांच की मांग की है.”

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी भरोसा बनाए रखने के लिए गंडातविसा के संवेदनशील इलाकों में ‘स्थायी सुरक्षा शिविर’, पीड़ित के परिजन के लिए सरकारी नौकरी और हिंसा प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दिलवाना चाहती है.

उन्होंने कहा, “जिन परिवारों के घर पूरी तरह जल गए, उन्हें केवल 25 हजार रुपये दिए गए हैं और परमेश्वर की मां को 5 लाख रुपये दिए गए हैं. हम चाहते हैं कि राज्य सरकार गंडातविसा के सभी हिंसा प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दे.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 7 जुलाई को स्थानीय बाजार में दो गुटों के बीच झड़प में 19 वर्षीय कॉलेज छात्र परमेश्वर रियांग घायल हो गया था और 12 जुलाई को अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

इसके बाद अगरतला से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित गंडातविसा में जब रियांग का शव लाया गया तो लोगों की भावनाएं भड़क उठीं और उन्होंने गुस्से में कई घरों और दुकानों में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी.

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