असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा गुरुवार को झारखंड पहुंचे. उनका पाकुड़ जिले के उस गोपीनाथपुर गांव का दौरा करने का कार्यक्रम था, जहां पिछले दिनों दो गुटों के बीच तकरार और मारपीट हुई थी.
लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार ने उन्हें पाकुड़ जिले के गोपीनाथपुर गांव जाने से रोक दिया.
सरमा ने दुमका में आदिवासी वीरांगनाओं फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि झारखंड सरकार ने मुझे गोपीनाथपुर जाने से रोक दिया है. अगर एक मुख्यमंत्री को किसी जगह पर जाने से मना किया जा रहा है तो समझा जा सकता है कि झारखंड की क्या हालत है.
उन्होंने आगे कहा, “पाकुड़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने आदिवासियों की जमीन हड़पी है. मैं उनसे मिलना चाहता हूं, उनके साथ खड़ा होना चाहता हूं लेकिन राज्य सरकार ने मुझे मना किया है.”
सरमा ने कहा, “मैं देश के किसी भी जगह पर जा सकता हूं लेकिन झारखंड सरकार को मुझसे डर लग रहा है. सरकार नहीं चाहती है कि मैं लोगों की पीड़ा समझूं.”
दरअसल, कुछ दिनों पहले पाकुड़ जिले के गोपीनाथपुर में पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर गांव से आए लोगों ने हमला किया था. इस दौरान पथराव, आगजनी, बमबाजी और कई राउंड फायरिंग की गई थी. भाजपा का आरोप है कि हमलावरों में बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल थे.
सरमा पाकुड़ में केकेएम कॉलेज का भी कार्यक्रम था, जहां 26 जुलाई की रात आदिवासी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जिसमें छह पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हो गए थे.
इसके अलावा, वह उन इलाकों का भी निरीक्षण करने की योजना बना रहे हैं, जहां जिले में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने कथित तौर पर आदिवासी जमीन पर कब्जा कर लिया है.
इसके बाद विपक्ष के नेता अमर बाउरी ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि असम के सीएम को गोपीनाथपुर जाने से रोका गया.
बाउरी ने इस दिन को “लोकतंत्र में एक काला अध्याय” बताते हुए कहा कि न सिर्फ 18 भाजपा विधायकों को सार्वजनिक मुद्दे उठाने के लिए शुक्रवार दोपहर 2 बजे तक विधानसभा से निलंबित कर दिया गया, बल्कि एक सीएम को लोगों तक पहुंचने से भी रोक दिया गया.
इस पूरे मामले पर झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि राज्य की सरकार ने हिमंता बिस्व सरमा को गोपीनाथपुर गांव के लोगों और पाकुड़ में कॉलेज छात्रों से मुलाकात करने से रोक दिया है.
मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘कांग्रेस-झामुमो की सरकार झारखंड में लोकतंत्र की गला घोंटने पर आमादा है. पाकुड़ एसपी के निर्देश पर बेरहमी से पीटे गए आदिवासी छात्रों की आवाज दबाकर हेमंत सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है. असम के माननीय मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा जी पीड़ित आदिवासी छात्रों से मिलकर दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जानकारी लेना चाहते हैं लेकिन राज्य सरकार के इशारे पर उन्हें मिलने से रोक दिया गया है. आखिरकार हेमंत सरकार किस डर से एक जनप्रतिनिधि को छात्रों से मिलने से रोक रही है? सरकार कौन सी साजिश को छिपाने का प्रयास कर रही है?’
मरांडी ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, ‘असम के माननीय मुख्यमंत्री को हेमंत सरकार ने पाकुड़ जाने से रोक दिया है. हेमंत जी, एक तरफ बांग्लादेशी घुसपैठियों को पूरे झारखंड में भ्रमण करने और रहने-बसने की खुली छूट दे रखी है. वहीं एक राज्य के मुख्यमंत्री को ही अपने देश की जनता से मिलने से रोका जा रहा है.’
वहीं इस पर राज्य सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता की प्रतिक्रिया भी सामने आई और उन्होंने हिमंत सरमा को बाढ़ प्रभावित असम का दौरा करने की सलाह दी.
बन्ना गुप्ता ने कहा, “हिमंत बिस्व सरमा को इस वक्त झारखंड का नहीं बल्कि असम में बाढ़ का दौरा करना चाहिए. वह असम में बाढ़ की समस्या को छोड़ कर झारखंड पहुंच गए.”
हालांकि, मंत्री ने ये साफ नहीं किया कि असम के मुख्यमंत्री को क्यों रोका गया.
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