HomeAdivasi Dailyवायनाड भूस्खलन के पीडितों के लिए मुआवाजा बढ़ाने की मांग नामंज़ूर

वायनाड भूस्खलन के पीडितों के लिए मुआवाजा बढ़ाने की मांग नामंज़ूर

याचिकाकर्ता बैजू मैथ्यूज ने अदालत से गुहार लगाई थी कि सरकार की ओर से घोषित मुआवजा राशि पर्याप्त नहीं है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया है.

पिछले साल वायनाड में आए भूस्खलन ने कई आदिवासी और गरीब परिवारों को बेघर कर दिया था. राज्य सरकार ने इन प्रभावित परिवारों के लिए राहत के तौर पर 15 लाख रुपये तक का मुआवजा या आवासीय टाउनशिप में घर देने की योजना बनाई थी.  

मुआवज़े को बढ़ाने की मांग को लेकर दायर इस याचिका पर केरल हाईकोर्ट ने 16 जनवरी 2025 को अपना फैसला सुनाया.

मुआवजा बढ़ाने की याचिका खारिज

याचिकाकर्ता बैजू मैथ्यूज ने अदालत से गुहार लगाई थी कि सरकार की ओर से घोषित मुआवजा राशि पर्याप्त नहीं है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए.

इस पर कोर्ट ने कहा कि मुआवज़ा सरकार की नीति पर आधारित है और इसे प्रभावितों का अधिकार नहीं माना जा सकता.

न्यायमूर्ति ए. के. जयशंकरण नांबियार और न्यायमूर्ति ईश्वरन एस. की पीठ ने कहा, “यह पुनर्वास योजना सरकार की मानवीय पहल है. यह एक प्राकृतिक आपदा का मामला है, न कि सरकार की किसी गलती का परिणाम. सरकार ने अपने संसाधनों से जितनी संभव हो सकती है, उतनी मदद की है. मुआवज़े की राशि को चुनौती देना सही नहीं है.”

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रभावित लोगों को दो विकल्प दिए गए हैं. सरकार ने बताया कि पीड़ितों को आवासीय टाउनशिप के अंतर्गत नए घर दिए जाएंगे. इसके अलावा जो टाउनशिप योजना से बाहर रहना चाहते हैं, उन लोगों के लिए 15 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात सरकार ने कही थी.

इसके साथ ही यह आश्वासन भी दिया गया था कि प्रभावित परिवार अपनी भूस्खलन प्रभावित जमीन के मालिक भी बने रहेंगे.

सरकार ने यह भी बताया कि आमतौर पर भूमिहीनों को अधिकतम 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. लेकिन वायनाड के मामले में इसे 15 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है.

कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “सरकार ने वायनाड के लिए विशेष छूट दी है. यह राहत राशि कोई अधिकार नहीं है बल्कि सरकार की एक उदार पहल है. मुआवज़े को लेकर बार-बार अधिक की मांग करना उचित नहीं है.”

याचिका में अन्य मुद्दे

याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि पुनर्निर्माण कार्य बिना टेंडर प्रक्रिया के दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपदा के बाद राहत कार्य में तेज़ी प्राथमिकता होती है और ऐसे मामलों में टेंडर प्रक्रिया को सख्ती से लागू करना हमेशा संभव नहीं होता.

कोर्ट ने यह भी बताया कि चक्रवात ओखी आपदा के लापता व्यक्तियों को अब मृत घोषित कर दिया गया है.

इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी.

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