उत्तरी आंध्र प्रदेश के अनकापल्ले जिले (Anakapalle district) के रोलुगुंटा मंडल के पेड्डापेट (Peddapet) सहित कई आदिवासी गांवों के किसान अपनी पारंपरिक खेती वाली जमीनों पर अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इन किसानों ने अपने गांवों के पास सरकारी बंजर पड़ी जमीनों को काजू, सागौन और आम के पेड़ों के फलते-फूलते बागों में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की थी.
लेकिन उन्हें तब बहुत बड़ा झटका लगा जब उन्हें पता चला कि जिस जमीन पर वो लोग खेती कर रहे हैं उनके डी-फॉर्म पट्टे उन लोगों के नाम पर हैं जो स्थानीय नहीं हैं.
पेड्डापेट के वम्पुरी राजाबाबू के अलावा नुकाराजू, के. देमुडु, एल. राजाबाबू, के. देवी, एम. महेश, आर. देमुदु, रत्तेला चंद्र राव, केदारी बुचायम्मा, नीलापु नुकलम्मा, कोटामा अचय्या और कोडमा काद नायडू सहित आदिवासी किसानों का तर्क है कि कुल 28.57 एकड़ जमीन, जिसे उन्होंने दशकों में विकसित किया है, सही मायने में उनकी है.
फैक्ट यह है कि जिस जमीन पर वे खेती कर रहे हैं वह उनके नाम पर होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है. किसानों को यह बात 10 अप्रैल, 2010 को पता चली. तब से आदिवासी किसान तहसीलदार, मंडल सर्वेक्षक, अनाकापल्ले जिला कलेक्टर, आरडीओ नरसीपट्टनम और आईटीडीए पडेरू जैसे अधिकारियों के सामने याचिका दायर कर रहे हैं.
किसानों ने वाईएसआरसी सरकार द्वारा किए गए जगन्नाना सर्वेक्षण (Jagananna survey) और एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार द्वारा आयोजित हालिया राजस्व सदासुलु (Revenue sadassulu) के दौरान इस मामले को उठाया.
आदिवासी किसानों का आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की उदासीनता और रिकॉर्ड्स का सही मैनेजमेंट नहीं होने के कारण उनकी दुर्दशा जारी है.
एक किसान ने मीडिया से कहा कि पेड्डापेट गांव में उनके जैसे आदिवासी किसानों ने दशकों से बंजर भूमि पर खेती की है. लेकिन डी-फॉर्म पट्टे जो उनके नाम पर होने चाहिए वो ऐसे लोगों को आवंटित कर दिया गया है जो कभी यहां रहे ही नहीं.
इतना ही नहीं इन बाहरी लोगों को फ्रीहोल्ड अधिकार मिल गए हैं. संबंधित अधिकारी उनके गांव में सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को लागू नहीं कर रहे हैं.
किसानों ने आरोप लगाया कि जगन्नाण्णा पुनर्सर्वेक्षण (agananna Resurvey) दस्तावेज में इतनी गलतियां हैं कि कई आदिवासी किसानों के नाम अडांगल (Adangal) दस्तावेज में नहीं हैं, जिन्होंने दशकों से जमीन पर खेती की है.
एक आदिवासी महिला किसान का कहना है कि उन्होंने राजस्व सदासुलु में भागीदारी के माध्यम से इन गलतियों को सुधारने का कोशिश की. फिर भी किसान अपनी खेती की जमीन के लिए भूमि का स्वामित्व हासिल करने में असफल रहे हैं.
किसानों ने ग्राम राजस्व अधिकारी (VRO) पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अडांगल में यह दर्ज ही नहीं किया है कि वे जमीन पर खेती कर रहे हैं.
वहीं मंडल राजस्व अधिकारी (MRO) ने स्वीकार किया कि आदिवासी किसानों के सामने आने इस तरह की चुनौतियां आ रही है. उन्होंने कहा कि आरडीओ नरसीपट्टनम स्थिति से पूरी तरह वाकिफ है.
कुल मिलाकर पेड्डापेट के आदिवासी किसान गैर-स्थानीय लोगों को जारी किए गए डी-फॉर्म पट्टों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
इसके अलावा आदिवासी किसानों को पट्टे आवंटित करके उन्हें सही किसान के रूप में मान्यता दी जाने की मांग कर रहे हैं.