HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: आदिवासी बच्चों के लिए इको फ्रेंडली पेंटिंग वर्कशॉप आयोजित

तमिलनाडु: आदिवासी बच्चों के लिए इको फ्रेंडली पेंटिंग वर्कशॉप आयोजित

वर्कशॉप में सौ से ज्यादा छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया. उन्हें वन्यजीवों पर आधारित मास्क बनाने के लिए भी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें प्राकृतिक रंगों से पेंट करने की अनुमति दी गई.

संरक्षण एनजीओ “अरुलागम” ने तमिलनाडु के निल्गीरिस में करगुडी जनजातीय आवासीय विद्यालय में आदिवासी बच्चों के लिए “इको फ्रेंडली” पेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया.

अरुलगाम के सचिव एस. भारतीदासन ने कहा कि इस वर्कशॉप का आयोजन छात्रों में सीसा विषाक्तता (Lead poisoning) के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था.

उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “हर साल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते को अंतर्राष्ट्रीय लीड प्वाइजनिंग प्रिवेंशन वीक के रूप में मनाया जाता है. सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ‘अरुलागम’ ने विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जिसमें सीसा विषाक्तता के दुष्प्रभावों के बारे में चित्रकारों के संघ के साथ चर्चा भी शामिल है.”

एनजीओ ने नीति-निर्माताओं से अपील करते हुए पेंट में लीड के इस्तेमाल को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला कि वे अनुमेय सीमा के भीतर पेंट्स में लीड सामग्री के स्तर की जाँच और निगरानी करें.

उन्होंने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक बच्चे सबसे कमजोर समूहों में से एक हैं और हर साल 50 लाख से अधिक बच्चे लीड प्वाइजनिंग से प्रभावित हो रहे हैं.”

वर्कशॉप का आयोजन इको फ्रेंडली रंगाई सामग्री जैसे पत्ते, नींबू, लकड़ी का कोयला, चूना, हल्दी पाउडर, इंडिगो डाई, रॉक पाउडर और मिट्टी को पारंपरिक लीड-आधारित पेंट के विकल्प के रूप में किया गया था. पेंटिंग ब्रश भी प्राकृतिक पौधों की सामग्री जैसे कैक्टस, कोको पीट और कपास से बनाया गया था.

वर्कशॉप में सौ से ज्यादा छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया. उन्हें वन्यजीवों पर आधारित मास्क बनाने के लिए भी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें प्राकृतिक रंगों से पेंट करने की अनुमति दी गई. कार्यक्रम का संचालन पांडिचेरी के डॉ एझुमलाई वेंकटेश ने किया.

इस अवसर पर श्री भारतीदासन ने कहा कि हालांकि सरकार ने पेंट में सीसा की मात्रा 90 भागों प्रति मिलियन से कम होने की अनुमति दी थी लेकिन नियमों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा था. उन्होंने आगे कहा कि नेवले के पूंछ वाले हिस्से का इस्तेमाल ब्रश बनाने के लिए किया जाता है और इसलिए हर साल अनगिनत संख्या में नेवले मारे जाते हैं. इस तरह के ब्रशों को बैन और इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

इस कार्यक्रम का आयोजन इंटरनेशनल पोल्यूटेंट्स एलिमिनेशन नेटवर्क, रोटरी इंटरनेशनल द नीलगिरी वेस्ट और करगुडी ट्राइबल रेजिडेंशियल हाई स्कूल के सहयोग से किया गया था.

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