असम के स्कूलों में हायर सेकंडरी स्तर तक गारो और सात दूसरी आदिवासी भाषाएं अब पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी.
यह फैसला असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू और असम के Indigenous Tribal Sahitya Sabhas of Assam (ITSSA) के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई बैठक में लिया गया. बैठक में ITSSA के डेलिगेशन में गारो, बोरो, मिसिंग, राभा, तिवा, देउरी, कार्बी और दिमासा भाषाई समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग थे.
कक्षा 6 से 8 में ऑप्शनल विषय के रूप में, और कक्षा 9 से 12 तक इलेक्टिव विषय के रूप में किसी भी आदिवासी भाषा को सीखने का विकल्प होगा.
इसके अलावा असम सरकार राभा, मिसिंग, तिवा और देउरी भाषाओं को लोअर प्रीमार्ग स्कूलों में शिक्षा के माध्यम के रूप में लाएगी, जिसमें असमिया और अंग्रेजी भाषा में भी दक्षता में सुधार पर भी जोर होगा.
बैठक में बहु-भाषा के साथ मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर एक रणनीति बनाने का समर्थन किया गया.
इस बीच, गारो छात्र संघ (जीएसयू) और गारो साहित्य सभा के प्रतिनिधियों ने गारो माध्यम के स्कूलों को बारहवीं कक्षा में अपग्रेड करने के निर्णय के लिए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को धन्यवाद दिया है.
“हम असम सरकार के फैसले से खुश हैं. लेकिन अब हमारे सामने गारो-माध्यम के स्कूलों में पर्याप्त और योग्य शिक्षक लाने की चुनौती है. फिलहाल असम में गारो समुदाय के ऐसे उम्मीदवारों की संख्या कम है, जिन्होंने टीईटी पास किया हो. इसलिए यह जरूरी है कि ज्यादा उम्मीदवार आगे आएं और भर्ती के लिए पात्र बनें,” जीएसयू (असम राज्य क्षेत्र) के मुख्य सलाहकार थरसुश संगमा ने मंगलवार को द शिलॉन्ग टाइम्स से कहा.
संगमा ने यह भी कहा कि असम के कामरूप और गोलपारा जिलों के अंतर्गत गारो-आबादी क्षेत्रों में अभी फिलहाल 15 से 18 गारो-माध्यम हाई स्कूल और 30 से ज्यादा गारो-माध्यम एमई स्कूल हैं.
इन स्कूलों में कई वेकेंसी हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे अगले महीने तक भर जाएंगी.
जीएसयू को यह भी उम्मीद है की उनकी मांग कि बारहवीं कक्षा तक शिक्षा के माध्यम के रूप में गारो की शुरूआत हो, अगले साल तक पूरी हो सकती है.