भारत के आदिवासी इलाकों में बेहतरीन शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल यानि EMRS की स्थापना की गई थी. लेकिन इन स्कूलों में शिक्षा का माध्यम चिंता का विषय रहा है.
इन स्कूलों में आदिवासी भाषा के शिक्षकों की जगह अंग्रेज़ी और हिंदी भाषी शिक्षकों की नियुक्ति के कारण आदिवासी छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
तेलंगाना के महबूबाबाद ज़िले से कुछ इसी तरह की शिकायतें सामने आईं हैं.
यहां के आदिवासी छात्रों और अभिभावकों ने शिकायत की है कि उत्तर भारत से आने वाले शिक्षकों को तेलुगु और अन्य स्थानीय भाषा नहीं आती है और वे हिंदी में छात्रों को पढ़ाते हैं लेकिन हिंदी का ज्ञान न होने के कारण छात्रों को कुछ समझ नहीं आता.
छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें स्थानीय भाषा की समझ नहीं है तो उन्हें अंग्रेज़ी में पढ़ाना चाहिए.
EMRS के एक छात्र का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियों में छात्र स्कूल में शिक्षा के माध्यम के बारे में शिकायत कर रहा है.
इस छात्र का कहना है कि उसके अंग्रेज़ी के शिक्षक को न तो तेलुगु आती है और न ही अंग्रेज़ी इसलिए वह उन्हें हिंदी में पढाते हैं. छात्र ने बताया कि शिकायत करने पर वे उनसे हिंदी सीखने के लिए कहते हैं.
महबूबाबाद जिले के कुरावी के EMRS स्कूल में 10वीं कक्षा पूरी करने वाली छात्रा कृष्णा वेणी ने बताया कि उनके फिजिक्स के टीचर को अंग्रेजी बोलने में कठिनाई होती थी और वे हिंदी में बोलते थे जिसे छात्र समझ नहीं पाते थे.
एक अन्य छात्रा श्रीजा पी ने भी शिकायत करते हुए कहा कि उनके कॉर्मस के टीचर हिंदी में पढ़ाते हैं, लेकिन छात्रों के अनुरोध पर उन्होंने कहा कि वे अंग्रेजी में बोलने की कोशिश करेंगे.
महबूबाबाद के एक अन्य एकलव्य मॉडल स्कूल में कक्षा 11वीं की छात्रा ने भी अपनी पेशानी ज़ाहिर की और बताया कि केमिस्ट्री की टीचर केवल हिंदी में बोलती हैं और किसी को उनकी बात समझ में नहीं आती.
छात्रा ने बताया कि कई बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी कोई बदलाव देखने को नहीं मिला और अब भी वे हिंदी में ही पढ़ाती हैं.
कक्षा 9 में पढ़ने वाले कई छात्रों को फेल होने का डर है इसलिए वे इस स्कूल को छोड़कर कहीं और जाने के बारे में सोच रहे हैं.
अभिभावकों ने दावा किया है कि उनके बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानी हो रही है क्योंकि शिक्षा का प्राथमिक माध्यम अंग्रेजी है और तेलंगाना के बाहर के शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूसरी भाषा हिंदी है.
कुरावी के एकलव्य मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल संतोष एम ने कहा कि वे शिक्षकों से आग्रह करते हैं कि वे केवल अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करें और जितना हो हिंदी में बात करने से बचे.
साथ ही, प्रिंसिपल ने यह भी बताया कि हर महीने के दूसरे शनिवार को होने वाली PTM में शिक्षकों को अभिभावकों से बात करने के लिए स्थानीय कर्मचारियों की मदद लेनी पड़ती है क्योंकि छात्रों के माता-पिता को सिर्फ तेलुगु भाषा आती है.