कश्मीर में पहली बार सर्दियों का आदिवासी उत्सव (Tribal Winter Festival) आयोजित किया गया है. यह उत्सव बांदीपोरा ज़िले में आयोजित किया गया है.
ज़िला उपअधिक्षक औवेस अहमद ने दावा किया है कि इस मौके पर बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे. उन्होंने कहा है कि इस उत्सव में आदिवासी संस्कृति और परंपराओें का शानदार प्रदर्शन किया गया.
इस मौक़े पर बकरवाल और गुज्जर समुदाय के लोगों ने अपने परंपरागत वेशभूषा में नृत्य किया. इस उत्सव में इन समुदायों के परंपरागत वाद्ययंत्रों का भी प्रदर्शन हुआ. गुज्जर समुदाय की तरफ़ से ‘गटका’ का प्रदर्शन किया गया.
‘गटका’ एक मार्शल आर्ट पर आधारित नाच है जिसमें नृतक हाथों में तलवार ले कर नाचते हैं. इसे एक तरह की युद्ध कला कहा जा सकता है. यह कला कश्मीर के गुज्जर समुदाय की प्रतिरोध की क्षमता का प्रतीक मानी जाती है.

जम्मू कश्मीर प्रशासन का कहना है कि यह उत्सव आदिवासी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण के साथ साथ इस इलाक़े में पर्यटक गतिविधियों को बढ़ाने के मक़सद से किया गया है.
प्रशासन का कहना है कि जम्मू कश्मीर की जनजातियों की अपनी ख़ास जीवन शैली और संस्कृति है. इस उत्सव के ज़रिए पर्यटन विभाग के साथ मिल कर यह प्रयास किया जा रहा है कि बाहर के लोग भी यहाँ की जनजातियों की परंपराओं और संस्कृति को समझ सकें.

इस उत्सव में आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली में शामिल खेलों का प्रदर्शन भी किया गया. इसके अलावा जनजातियों के ख़ास व्यंजन भी उत्सव में चखने को मिले थे.

प्रशासन को उम्मीद है कि अगर पर्यटक इस दूर दराज़ के इलाक़े तक पहुँचने लग जाएँगे तो यहाँ पर रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे.
कश्मीर सर्दियों में भी बड़े पैमाने पर पर्यटकों को आकर्षित करता है. इस मौसम में बर्फ़ देखने के शौक़ीन सिर्फ़ भारत नहीं बल्कि दुनिया भर से यहाँ पहुँचते हैं.