HomeAdivasi Dailyकेरल के मलमपंडारम आदिवासियों को मिलेंगे ज़मीन के अधिकार

केरल के मलमपंडारम आदिवासियों को मिलेंगे ज़मीन के अधिकार

मलमपंडारम या हिल पंडारम जनजाति को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत छह महीने के अंदर ज़मीन के पट्टे देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

केरल के पतनमतिट्टा ज़िले में जंगल में रहने वाले समुदायों के कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण क़दम उठाया गया है. मलमपंडारम या हिल पंडारम जनजाति को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत छह महीने के अंदर ज़मीन के पट्टे देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

ज़िला कलेक्टर नरसिम्हुगरी तेज लोहित रेड्डी ने गुरुवार को इस आदिवासी समुदाय के लोगों से एक बैठक में यह घोषणा की.

यह बैठक मंजतोडु, लाहा, प्लापल्ली और चलक्कायम के वन क्षेत्रों में रहने वाले मलमपंडारम आदिवासियों के पुनर्वास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी.

आवेदन स्वीकार हुए

बैठक में उन लोगों के आवेदन स्वीकार करने का फ़ैसला लिया गया जिन्होंने मंजतोडु में रहने के लिए स्वेच्छा दिखाकर उप-मंडल-स्तरीय समिति को दिया है. कलेक्टर ने संबंधित विभागों को दस्तावेज़ों को जुटाने और पुनर्वास स्थान के विकास के निर्देश दे दिए हैं.

अधिकारियों के अनुसार इस आदिवासी समुदाय के 43 परिवार लाहा और पम्बा के बीच फैले जंगल में रहते हैं. रान्नी-पेरुनाड ग्राम पंचायत से इन परिवारों को स्थानीय निकाय के रोज़गार गारंटी योजनाओं में शामिल करने को भी कहा गया है.

कुल 95 परिवारों का होगा पुनर्वास

इलाक़े के ट्राइबल डेवलपमेंट ऑफ़िसर एसएस सुधीर ने एक अखबार से कहा कि योजना के पहले चरण में कम से कम 30 मलमपंडारम आदिवासी परिवारों का पुनर्वास किया जाएगा. अनुमान के मुताबिक़ मलमपंडारम जनजाति के कुल 95 परिवारों के 395 लोग पतनमतिट्टा ज़िले के जंगलों में रहते हैं.

मलमपंडारम आदिवासी एक खानाबदोश समुदाय है, जो शायद ही स्थाई रूप से एक जगह किसी बस्ती में बसना पसंद करेंगे.

मलमपंडारम, मलईपंडारम या हिल पंडारम आदिवासी

ज़्यादातर मलई पंडारम या हिल पंडारम आदिवासी पम्बा नदी, अच्चन कोइल नदी और पठनपुरम में, और कोल्लम ज़िले में शेनकोटा पर्वतमाला के पास बसे हैं. कुछ मलमपंडारम आदिवासी अब पालक्काड ज़िले के श्रीकृष्णपुरम चले गए हैं, और वहां रहते हैं.

केरल के आदिवासी

2011  की जनगणना के अनुसार केरल में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या क़रीब 5 लाख है. यह आदिवासी राज्य के सभी 14 ज़िलों में बसे हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा 1,48,215 वायनाड में हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर इडुक्की में 55,243 और पालक्काड ज़िले में 47,023 आदिवासी रहते हैं.

35 प्रमुख जनजातियों में से पनिया केरल की सबसे बड़ी है जनजाति है.

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