कर्नाटक के महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में पूर्व जनजातीय कल्याण मंत्री बी नागेंद्र की हिरासत को 4 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
बेंगलुरु की विशेष अदालत ने सोमवार यानि 22 जुलाई को कर्नाटक के कांग्रेस नेता नागेंद्र को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
आज 22 जुलाई को उनकी हिरासत का आखरी दिन था लेकिन इससे पहले कि बी नागेंद्र बाहर आते उससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें सांसदों या विधायकों के लिए चलाई जाने वाली विशेष अदालत में पेश कर दिया.
नागेंद्र को चार राज्यों में 23 जगहों पर चले तलाशी अभियान के बाद 12 जुलाई को पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत हिरासत में लिया गया था.
ईडी ने दावा किया था कि बी नागेंद्र और एक अन्य कांग्रेस विधायक के परिसरों की तलाशी के दौरान उन्हें आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं.
भाजपा इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को भी शामिल बता रही है और उनके इस्तीफे की मांग कर रही है. सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने विधानसभा सत्र के तीन दिनों में इस मामले पर नौ घंटे से अधिक समय तक चर्चा की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि एसआईटी (Special Investigation Team) पहले से ही आदिवासी कल्याण बोर्ड में हुई अनियमितताओं की जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को जांच पर पूरा भरोसा है.
सत्तारूढ़ पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि कर्नाटक सरकार को अस्थिर करने के लिए इस मामले की जांच ईडी को सौंपी गई है.
इस घोटाले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के तहत विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई है.
भाजपा और जनता दल सेक्यूलर बोर्ड अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक बसनगौड़ा दद्दाल और चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल की गिरफ्तारी की भी मांग कर रही है.
यह घोटाला वाल्मीकि विकास निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन की आत्महत्या के बाद सामने आया था.
एसआईटी (Special Investigation Team) ने इस मामले में पहले ही 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और 34 करोड़ रुपये नकद भी ज़ब्त किए गए हैं.