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सौभाग्य है कि मुझे आदिवासियों के संघर्ष का सम्मान करने का अवसर मिला: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के कारण गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में किसानों की आय बढ़ रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भूमिहीन किसानों की अधिकतम आय में वृद्धि हुई है, जो सबसे गरीब हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अधीर रंजन की ‘राष्ट्रपत्नी’ टिप्पणी के बाद बड़ा विवाद पैदा हो गया है.  इस बीच गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति मुर्मू पर बोले, ‘आज़ादी के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर एक और बड़ा संयोग हुआ है. पहली बार जनजातीय समाज से आने वाली देश की बेटी भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंची हैं.’

पीएम मोदी ने गुरुवार को गुजरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदाय के योगदान को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने का अवसर मिला.

उन्होंने इस दौरान आदिवासी बहुल ज़िले में विभिन्न साबर डेयरी परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखी.

पीएम मोदी ने कहा, “प्रधानमंत्री के रूप में, मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदाय के योगदान को राष्ट्रीय मान्यता देने का अवसर मिला. हमारी सरकार ने फैसला किया है कि पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाएगा. हमारी सरकार आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में एक संग्रहालय बनाने की भी योजना बना रही है.”

इसके बाद पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू के चुनाव का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “आजादी के 75 साल बाद एक बड़ा संयोग हुआ है कि पहली बार भारत की कोई बेटी जो आदिवासी समुदाय से है वो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंची है. देश ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है.”

उन्होंने कहा, “यह 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है. जिन्होंने आजादी के लिए कुर्बानी दी थी और समावेशी लोकतंत्र का जो सपना हमारे पूर्ववर्तियों ने देखा था, वह अब साकार हो रहा है.”

अपने भाषण में, पीएम मोदी ने 1922 में साबरकांठा ज़िले में ही हुए पाल-दाधव आदिवासी नरसंहार को भी याद किया. उन्होंने आदिवासियों के नेता मोतीलाल तेजावत को भी याद किया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी विरोध का नेतृत्व किया था.

अपने भाषण के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने कई विकास परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जो केंद्र और गुजरात में बीजेपी सरकारों ने शुरू की हैं, जैसे कि सड़क संपर्क, पानी, स्वास्थ्य शिक्षा और तीर्थ विकास आदि से संबंधित है.

साथ ही प्रधानमंत्री ने कई स्थानीय नेताओं के नामों को याद किया जिन्होंने साबर डेयरी और सामान्य रूप से इस क्षेत्र के विकास में योगदान दिया. उन्होंने कहा कि 20 साल पहले, जब वह पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे, तब स्थिति काफी अलग थी क्योंकि राज्य पानी, बिजली आदि की कमी का सामना कर रहा था. पीएम मोदी ने कहा कि यह तब था जब उन्होंने “स्थिति को बदलने का संकल्प लिया”.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “2001 में, जब मैं पहली बार (मुख्यमंत्री के रूप में) आया था तो लोग कहते थे कि उन्हें कम से कम तब तक बिजली की सुविधा दो जब तक वे रात का भोजन नहीं कर लेते. गुजरात में शाम को बिजली नहीं मिलती थी. हमने ज्योतिग्राम योजना का अभियान चलाया. आज 20-22 साल के बेटे-बेटियों को पता ही नहीं चलेगा कि अंधेरा क्या कहलाता है.”

पीएम मोदी ने कहा, “हम ज्योतिग्राम योजना लाए..जिससे बिजली आई और यह सिर्फ गुजरात के घरों तक ही सीमित नहीं था. बिजली ने गांवों में दूध को ठंडा करने वाली इकाइयों को खड़ा करने में बहुत मदद की. उसके कारण दूध संग्रह में वृद्धि हुई और इसे खराब होने से रोका गया.”

उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में प्रयासों के कारण, गुजरात का डेयरी कारोबार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है.

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि पिछले आठ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के कारण गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में किसानों की आय बढ़ रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भूमिहीन किसानों की अधिकतम आय में वृद्धि हुई है, जो सबसे गरीब हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि फसल की खेती के अलावा आमदनी के अन्य विकल्पों पर काम करने की सरकार की रणनीति कारगर साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग इसका सबसे अच्छा उदाहरण है और कहा कि देश में इसका कारोबार पहली बार एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. पीएम मोदी ने कहा, “वास्तव में यही कारण है कि पिछले आठ वर्षों में गांवों में 1.5 करोड़ से अधिक रोजगार पैदा हुए हैं.”

इसी तरह, उन्होंने कहा, पिछले आठ वर्षों में देश में शहद की खेती भी लगभग दोगुनी हो गई है.

अपनी सरकार की किसान हितैषी नीतियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतों में भारी वृद्धि के बावजूद केंद्र सरकार ने इसका बोझ किसानों पर नहीं डाला.

पीएम मोदी ने कहा, “50 किलो यूरिया की एक बोरी की कीमत सरकार को 3,500 रुपये में पड़ रही है और सरकार किसानों को 300 रुपये में उपलब्ध करा रही है. डीएपी (उर्वरक) के 50 किलो के बैग पर सरकार पहले 500 रुपये का बोझ उठा रही थी. आज दुनिया में बढ़ती महंगाई की वजह से सरकार को 2500 रुपये का बोझ उठाना पड़ रहा है. हम किसानों पर बोझ नहीं पड़ने देंगे.”

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