ओडिशा के बालासोर जिले के छनखानपुर गांव में 26 दिसंबर को दो आदिवासी महिलाओं को पेड़ से बांधकर प्रताड़ित करने और उन पर जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप लगाने का मामला सामने आया था.
इस मामले में पुलिस ने मंगलवार को चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान पितांबर बिस्वाल, प्रसन्न कुमार नायक, जयंत कुमार नायक और बादल कुमार पांडा के नाम से हुई है.
शुरू में सात लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन जांच के बाद चार लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई.
इस मामले में शिकायतकर्ता बादल कुमार पांडा ने दावा किया है कि दोनों महिलाएं गांव में एक व्यक्ति को ईसाई धर्म अपनाने के लिए धमका रही थीं. उनके अनुसार ये महिलाएं ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए गांव में आई थीं और कथित तौर पर धर्मांतरण का जश्न मनाने के लिए केक लाई थीं.
बादल पांडा ने पुलिस को बताया कि महिलाओं ने धर्म परिवर्तन के लिए गांव के एक व्यक्ति के घर में जबरन घुसने की कोशिश की और धमकियां दीं. इसी आरोप के आधार पर पुलिस ने दोनों महिलाओं के खिलाफ ओडिशा फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 1967 की धारा 4 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.
घटना का दूसरा पहलू
ये घटना एक वायरल वीडियो के बाद सामने आई थी. इस वीडियो में देखा गया कि भीड़ ने दोनों महिलाओं को एक खंभे से बांध दिया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया. वीडियो में भीड़ महिलाओं पर धार्मिक नारे लगाने का दबाव डालती और उन्हें अपमानित करती नजर आ रही थी.
इसके बाद पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ दर्ज शिकायत के साथ-साथ भीड़ के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत भीड़ में शामिल 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों महिलाओं को भीड़ के चंगुल से बचा लिया था. अब इस मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.
बालासोर के डीआईजी सत्यजीत नायक ने बताया है कि पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से मामले की जांच शुरू की है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कदम भी उठाए हैं. डीआईजी ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
सांसद पर निशाना
यह घटना राजनीतिक विवाद का कारण भी बनी है. ओडिशा कांग्रेस के नेता अमिया पांडव ने सत्तारूढ़ दल की निंदा करते हुए इसे प्रशासन की विफलता बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के निर्वाचन क्षेत्र में अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है.
पुलिस की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि मामले में निष्पक्ष जांच की जा रही है. फिलहाल चार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस आगे की जांच में जुटी है.
घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने X पर पोस्ट कर राज्य के डीजीपी को निष्पक्ष, समयबद्ध जांच करने और शांति और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
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