HomeAdivasi Dailyगुजरात: पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र पाने लिए आदिवासी महिला का 9 साल का...

गुजरात: पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र पाने लिए आदिवासी महिला का 9 साल का संघर्ष

वनिता के पास पुलिस का फोन आया और उसे मृतक की पहचान उसके कपड़ों से करने की बात कही गई. फिर वह अगले दिन गरदा गांव पहुंची लेकिन तब तक शव का निस्तारण किया जा चुका था. वहीं पति का शव गरदा गांव में मिलने के बाद वनिता ने वहीं की ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अनुरोध किया.

गुजरात के आदिवासी बहुल नर्मदा जिले की रहने वाली विधवा वनिता वसावा बीते नौ साल से पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए दर-दर भटक रही है. वनिता वसावा की प्रमाण-पत्र पाने की अर्जी को महज अधिकारियों और अदालत ने इसलिए दरकिनार कर दिया क्योंकि उसके पति की मृत्यु की सही तारीख पता नहीं थी.

वनिता ने साल 2016 में अधिवक्ता विजय नांगेश के माध्यम से गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया. जहां याचिका दायर करने के छह साल बाद हाई कोर्ट ने हाल ही में उस गांव के तलाटी को नोटिस जारी किया है, जहां वनिता के पति का शव मिला था.

नागेश के अनुसार, वनिता का पति गिबिया वसावा लापता हो गया था. उसका शव 4 जून, 2013 को छोटा उदयपुर जिले के सांखेड़ा तालुका के गरदा गांव में हिरन नदी के तट के पास मिला था. पुलिस ने एक शव की शिनाख्त करने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

इसके बाद वनिता के पास पुलिस का फोन आया और उसे मृतक की पहचान उसके कपड़ों से करने की बात कही गई. फिर वह अगले दिन गरदा गांव पहुंची लेकिन तब तक शव का निस्तारण किया जा चुका था. वहीं पति का शव गरदा गांव में मिलने के बाद वनिता ने वहीं की ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अनुरोध किया.

लेकिन वनिता के अनुरोध पर पंचायत का कहना था कि मृत्यु ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई थी इसलिए हम प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकते. इसके बाद वनिता ने साल 2016 में सांखेड़ा में एक मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया.

एक बार फिर वनिता के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसके पति का शव 4 जून 2013 को मिला था लेकिन हो सकता है कि मौत उसके कुछ दिन पहले हुई हो, जैसा कि शरीर की स्थिति से पता चलता है. अदालत ने कहा कि मृत्यु की सही तारीख पता नहीं थी इसलिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सका.

वनिता हर कोशिश कर चुकी थी, जिसके बाद थक हारकर उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. गुरुवार को जस्टिस निरजार देसाई ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम के तहत मृत्यु के पंजीकरण के प्रावधानों पर चर्चा की और उन्होंने कहा कि गिबिया वसावा की मृत्यु 4 जून, 2013 को हुई कहा जा सकता है क्योंकि उसी दिन उनका शरीर मिला था.

हालांकि, प्रमाण पत्र गरदा ग्राम पंचायत के तलाटी के जरिए जारी किया जाना है, जिसको लेकर हाई कोर्ट ने तलाटी को नोटिस जारी कर 19 सितंबर तक जवाब मांगा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments