गुजरात सरकार ने आदिवासी छात्रों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में बदलाव करने का फैसला किया है. अब यह योजना मैनेजमेंट कोटा से दाखिला लेने वाले छात्रों पर लागू नहीं होगी.
यह फैसला 2024-25 में मैनेजमेंट कोटे के तहत दाखिल हुए छात्रों से लागू किया जाएगा.
इस फैसले का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने कड़ा विरोध किया और इसे आदिवासी विरोधी बताया.
विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने सरकार को घेरा
गुजरात विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान आप विधायक चैतर वसावा ने सरकार से पूछा कि क्या पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को मैनेजमेंट कोटा के छात्रों के लिए बंद कर दिया गया है?
इसके जवाब में आदिवासी विकास मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की कि अब यह छात्रवृत्ति सिर्फ सरकारी कोटे के छात्रों को मिलेगी और मैनेजमेंट कोटे के छात्रों को इसका लाभ नहीं मिलेगा.
इस जवाब के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोल दिया.
कांग्रेस और आप के विधायकों ने इसे आदिवासी छात्रों के साथ अन्याय बताया और सरकार पर शिक्षा विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया.
विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल
आप विधायक चैतर वसावा ने इसे आदिवासी विरोधी कदम बताते हुए कहा, “भाजपा सरकार ने 28 अक्टूबर 2024 को एक प्रस्ताव पारित कर इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया. भाजपा सरकार आदिवासी छात्रों को निशाना क्यों बना रही है?”
कांग्रेस विधायक और आदिवासी नेता अनंत पटेल ने सरकार को घेरते हुए कहा, “यह सरकार नहीं चाहती कि आदिवासी समुदाय पढ़े. यही कारण है कि सरकार और शिक्षा मंत्री कभी भी आदिवासी शिक्षा पर बात नहीं करते.”
कांग्रेस के ही एक अन्य आदिवासी नेता डॉ. तुषार चौधरी ने सरकार के फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, “यह योजना केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल थी. लेकिन भाजपा सरकार इसे खत्म कर दिया”
सरकार का बचाव और विपक्ष की नाराजगी
आदिवासी विकास मंत्री कुबेर दिंदोर ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि छात्रवृत्ति पूरी तरह बंद नहीं की गई है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह योजना केवल मैनेजमेंट कोटे में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए समाप्त की गई है जबकि सरकारी कोटे से दाखिला लेने वाले छात्र पहले की तरह इसका लाभ उठा सकते हैं.
लेकिन विपक्ष इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ और चार आदिवासी विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विधानसभा के बीच में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया.
विधानसभा से बाहर निकाले गए विपक्षी विधायक
विपक्षी विधायकों के हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें शांत रहने की चेतावनी दी, लेकिन वे नहीं माने.
उन्होंने विरोध जारी रखा और सरकार से छात्रवृत्ति बहाल करने की मांग करने लगे.
इसके बाद स्पीकर ने चार विधायकों को सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया और मार्शलों ने उन्हें बाहर कर दिया.
यह मामला गुजरात के आदिवासी छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मैनेजमेंट कोटे से दाखिला लेने वाले कई आदिवासी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इस छात्रवृत्ति पर निर्भर थे. इस फैसले के बाद अब कई छात्रों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को आदिवासी शिक्षा के अधिकार से जोड़ते हुए सरकार पर निशाना साधा है.
कांग्रेस और आप विधायकों ने ऐलान किया है कि वे इस मुद्दे को विधानसभा के बाहर भी उठाएंगे और सरकार को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर करेंगे।