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मणिपुर: जिरीबाम में 4 दुकानों में आग लगने के बाद हमार जनजाति ने 24 घंटे निगरानी की मांग की

पिछले हफ्ते राज्य के जिरीबाम में हिंसा और तनाव पैदा होने से हमार-कुकी-ज़ोमी जनजातियों के सैकड़ों सदस्यों और कुछ मैतेई ने पड़ोसी राज्य असम में शरण ली है.

मणिपुर की हमार-कुकी-ज़ोमी जनजाति (Hmar-Kuki-Zomi tribes) के लोगों के चार दुकानों में आग लगने के बाद गुरुवार को जिरीबाम (Jiribam) में फिर से तनाव पैदा हो गया.

इंडीजिनस ट्राइब्स एडवोकेसी कमेटी (ITAC) ने एक बयान में अधिकारियों से “अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने और कानून के अनुसार उन्हें उचित दंड देने” के लिए कहा.

आईटीएसी ने आरोप लगाया कि दुकानों में आग मैतेई सशस्त्र समूह अरामबाई तेंगगोल (Arambai Tenggol) ने लगाई थी.

आईटीएसी ने बयान में आरोप लगाया, “जलाए गए घर और दुकानें सभी हमार वेंग, कालीनगर, जिरीबाम और मैतेई लीकाई, जिरीबाम में स्थित हैं.”

इसमें कहा गया है कि जिन क्षेत्रों को 24 घंटे सुरक्षा की जरूरत है, उनमें कालीनगर भाग 1 और 2, हमार वेंग, आईबी लीकाई, करोंग, रानिन वेंग, मिशन कंपाउंड, वेंगनुआम, बाबूपारा वार्ड नंबर 4 (बाजार) और उचाथोल शामिल हैं.

आईटीएसी ने बयान में कहा, “हम सक्षम अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे मैतेई बदमाशों और अरामबाई तेंगगोल द्वारा संपत्तियों और सामान के आगे विनाश और चोरी को रोकने के लिए जिरीबाम में हमार, कुकी और ज़ोमी आदिवासियों के निवास वाले इलाकों में और उसके आसपास केंद्रीय बलों द्वारा 24 घंटे की निगरानी और गश्त की व्यवस्था करें.”

ITAC ने कहा कि अब तक जिरीबाम में हमार-कुकी-ज़ोमी जनजातियों के 45 घर जला दिए गए हैं. जबकि पिछले शनिवार को मैतेई भीड़ ने एक चर्च में आग लगा दी थी. हालांकि स्थानीय लोगों ने आग को पूरी इमारत में फैलने से पहले ही बुझा दिया.

ITAC ने कहा कि 40 वर्षीय एल लल्लियनमुआंग (L Lallianmuang) को कथित तौर पर अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों ने जिरीबाम के वेंग्नुआम डिबोंग खुनौ में उनके घर से अगवा कर लिया था. समूह ने कहा कि श्री लल्लियनमुआंग लापता हैं.

ITAC ने आरोप लगाया कि जिरीबाम में किसी भी मौत के लिए हमेशा आदिवासी समुदाय को दोषी ठहराया जाता है.

पिछले हफ्ते राज्य के जिरीबाम में हिंसा और तनाव पैदा होने से हमार-कुकी-ज़ोमी जनजातियों के सैकड़ों सदस्यों और कुछ मैतेई ने पड़ोसी राज्य असम में शरण ली है. जबकि 900 से अधिक मैतेई जिरीबाम में सात राहत शिविरों में रह रहे हैं.

जिरीबाम जिला एक साल से भी ज़्यादा समय से जातीय संकट से अछूता रहा है. लेकिन पिछले शनिवार को जब मैतेई समुदाय के 59 वर्षीय व्यक्ति का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ. उससे पहले मई में एक कुकी किशोर का क्षत-विक्षत शव नदी में मिला था.

पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी नहीं की है.

हालांकि, कुकी जनजाति ने आरोप लगाया है कि शव पर गोली के घाव थे. वहीं मैतेई लोगों ने आरोप लगाया है कि 59 वर्षीय व्यक्ति को कुकी बदमाशों ने बदला लेने के लिए प्रताड़ित किया और मार डाला.

इन दो घटनाओं ने जिले में संकट पैदा कर दिया है, जहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 37 गुजरता है, जो मणिपुर की दो जीवन रेखाओं में से एक है. दूसरा राजमार्ग नागालैंड से होकर असम जाने वाला है. जिरीबाम में विविधतापूर्ण जातीय संरचना है.

मणिपुर में हिंसा की स्थिति

मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. मणिपुर के शहर मोरेह के पास टी मोथा में एक स्कूल की इमारत में बुधवार को अज्ञात हमलावरों ने आग लगा दी। इसके अलावा जिरीबाम जिले के कालीनगर में घरों और दुकानों में भी आग लगा दी गई है.

दरअसल, 6 जून को एक लापता व्यक्ति के सिर कटे शव की बरामदगी के बाद हिंसा फिर से शुरू हो गई और 900 से अधिक लोगों को असम और जिरीबाम क्षेत्र के अन्य हिस्सों में सुरक्षित स्थानों पर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आगजनी की घटना के बाद आसपास के इलाकों के ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों को घटनास्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए टी मोथा की ओर जाने वाली सभी सड़कों को लट्ठों से बंद कर दिया. हालांकि 5वीं असम राइफल्स पोस्ट (जो स्कूल के ठीक सामने स्थित है) आग बुझाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के बजाय मूक दर्शक बनी रही.

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