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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा – अगर आदिवासी सहमत होंगे तो उन्हें भी UCC के तहत लाया जाएगा

अनुसूचित जनजाति और किसी प्राधिकरण के ज़रिए संरक्षित व्यक्ति और समुदायों को छोड़कर यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होगा.

उत्तराखंड सरकार ने 27 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) यानी UCC लागू कर दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में ‘मुख्यमंत्री कैंप ऑफ़िस’ में यूसीसी के लिए नियम पुस्तिका और नए नियमों के तहत आवेदन के लिए पोर्टल का उद्घाटन किया.

इस दौरान सीएम ने बताया कि आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए उन्हें यूसीसी से छूट दी जाएगी.

जौनसारी, थारू और भोटिया, बुक्सा और राजी जैसे आदिवासियों समुदायों को यूसीसी से छूट दी गई है.

सीएम धामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, “उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है और हमें विश्वास है कि अन्य राज्य भी हमारा अनुसरण करेंगे. नए कानून का श्रेय उत्तराखंड के लोगों को जाता है. जिन्होंने यूसीसी लाने की हमारी प्रतिबद्धता को देखते हुए हमें फिर से सत्ता में लाया.”

उन्होंने कहा, “अक्सर पूछा जाता रहा है कि नए कानून को यूसीसी कैसे कहा जाता है, जबकि आदिवासियों को इसके दायरे में नहीं लाया गया है. भारतीय संविधान की धारा 342 के प्रावधानों के मुताबिक हमने आदिवासियों को यूसीसी के दायरे से दूर रखा है, ताकि वे अपनी परंपराओं और मूल्यों का पालन कर सकें.”

उन्होंने कहा, “जब मसौदा समिति के सदस्यों ने आदिवासियों से मुलाकात की तो उन्होंने दावा किया कि वे अतीत की कई परंपराओं का पालन अब नहीं करते हैं और इस मुद्दे पर सोचने के लिए समय मांगा. अगर वे सहमत होते हैं तो उन्हें भी यूसीसी के तहत लाया जाएगा.”

उत्तराखंड में यूसीसी

उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता कानून में विवाह और तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इनसे जुड़े मुद्दे शामिल होंगे.

साथ ही ये महिलाओं और पुरुषों के लिए शादी की एक उम्र तय करता है. इसके साथ ही सभी धर्मों में तलाक और दूसरी प्रकियाओं के लिए एक जमीन तय करता है. ये कानून बहुविवाह पर भी प्रतिबंध लगाता है.

इस कानून के तहत सिर्फ उन दो पक्षों के बीच विवाह हो सकता है, जिसका कोई जीवित जीवनसाथी न हो, दोनों कानूनी अनुमति देने के लिए मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होना जरूरी है.

यूसीसी के तहत सभी शादियों और लिव-इन रिलेशनशिप्स का रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है.

अनुसूचित जनजाति और किसी प्राधिकरण के जरिए संरक्षित व्यक्ति और समुदायों को छोड़कर यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होगा.

उत्तराखंड की जनजातियां

उत्तराखंड में जौनसारी, थारू और भोटिया, बुक्सा और राजी प्रमुख आदिवासी समुदाय हैं.

थारू जनजाति उत्‍तराखंड का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है. बुक्सा और राजी जनजाति आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक रूप से अन्य जनजातियों के मुकाबले काफी गरीब तथा पिछड़ी है. लिहाजा, इन दोनों जनजातियों को आदिम जनजाति समूह की श्रेणी में रखा गया है. साल 1967 में उन्‍हें अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था.

उत्तराखंड की कुल जनजातीय आबादी में थारू जनजाति की आबादी 33.4 फीसदी है. इसके बाद जौनसारी जनजाति 32.5 फीसदी आबादी के साथ दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है. वहीं बुक्सा जनजाति इसमें 18.3 फीसदी आबादी का योगदान करती है. उत्‍तराखंड के जनजातीय समुदाय में भोटिया 14.2 फीसदी आबादी के साथ सबसे छोटी जनजाति है.

इन सभी जनजातियों को भारत के संविधान में अनुसूचित किया गया है. उत्तराखंड की जनजातियों ने अपनी पारंपरिक जीवन शैली को बरकरार रखा है.

जौनसारी जनजाति में महिलाओं के एक से ज्‍यादा पुरुषों के साथ शादी करने की परंपरा है. वहीं  भोटिया में पुरुषों के बहुविवाह की परंपरा है. क्योंकि समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी के दायरे से इन जनजातियों को बाहर रखा गया है. इसलिए वे अपनी बहुविवाह की परंपराओं को पहले की तरह जारी रख सकते हैं.

(Photo credit: PTI)

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