HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़: आदिवासियों को अब शहरी इलाक़ों में भी मिलेंगे सामुदायिक वन अधिकार

छत्तीसगढ़: आदिवासियों को अब शहरी इलाक़ों में भी मिलेंगे सामुदायिक वन अधिकार

यह पहली बार होगा जब शहरी इलाक़ों में रहने वाले आदिवासियों को सामुदायिक अधिकार मिल सकेंगे. इसका मतलब है कि एक समुदाय के रूप में उन्हें अपने आस-पास के जंगलों में जानवर चराने और कटाई का अधिकार होगा.

छत्तीसगढ़ सरकार ने शहरी इलाकों और टाइगर रिज़र्व के मुख्य क्षेत्र में सामुदायिक वन अधिकारों (Community Forest Rights) को मान्यता दी है. ऐसा देश में पहली बार हुआ है.

ज़िला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति वन भूमि पर आदिवासियों के व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकारों को मान्यता दे सकती है. टाइगर रिज़र्व के मुख्य क्षेत्रों में यह अधिकार देने के लिए वन विभाग की पूर्व स्वीकृति की ज़रीरत होगी.

अब तक अधिकांश आदिवासी अधिकारों को ग्रामीण इलाक़ों में ही मान्यता दी गई है.

यह पहली बार होगा जब शहरी इलाक़ों में रहने वाले आदिवासियों को सामुदायिक अधिकार मिल सकेंगे. इसका मतलब है कि एक समुदाय के रूप में उन्हें अपने आस-पास के जंगलों में जानवर चराने और कटाई का अधिकार होगा.

वन अधिकार अधिनियम, 2006 में आदिवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों का प्रावधान है.

वन अधिकार अधिनियम, 2006 आदिवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार देता है

अधिकारियों के मुताबिक़ धमतरी ज़िले के नगर पंचायत नगरी के नागरी, चुरियारा और तुम्बारा वॉर्ड में रहने वाले आदिवासियों को 10,200 एकड़ वन भूमि पर सामुदायिक वन अधिकार मिलेंगे.

राज्य सरकार के एक आदेश के अनुसार, नागरी के नगरपालिका क्षेत्रों में 707.41 हेक्टेयर ज़मीन पर सामुदायिक आधिकार दिए जाएंगे, चुरियारा में 678.18 हेक्टेयर पर, और तुम्बारा 2,746.742 हेक्टेयर पर.

इसके अलावा सरकार ने 13,700 एकड़ से ज़्यादा इलाक़े में पैले हुए पांच गांवों के सामुदायिक वन अधिकारों को भी मान्यता दी है. यह इलाक़ा धमतरी और गरियाबंद जिलों में फैले सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व में आता है.

इन पांच गांवों में मसुलखोई में 975.58 हेक्टेयर, करही में 984.92 हेक्टेयर, जोरतराई में 551.42 हेक्टेयर, बहिगांव में 1651.725 हेक्टेयर और बरोली में 1389.615 हेक्टेयर पर सीएफ़आर मान्यता दी गई है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक अखाबर को बताया कि ऐसा देश में पहली बार हो रहा है कि कोई सरकार शहरी इलाक़ों और किसी टाइगर रिज़र्व के मुख्य क्षेत्र के लिए वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सीएफआर अधिकारों को मान्यता दे रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ के प्रिंसिपल चीफ़ कंज़र्वेटर ऑफ़ फॉरेस्ट्स राकेश चतुर्वेदी का कहना है कि यह क़दम राज्य के आदिवासियों को सशक्त बनाएगा. जल्द ही, दूसरे शहरी इलाक़ों में सामुदायिक वन अधिकारों को भी मान्यता दी जाएगी.

इस फ़ैसले से पहले शहरी इलाक़ों में सामुदायिक वन अधिकारों के अस्तित्व और प्रक्रिया के बारे में लोगों और अधिकारियों को जागरुक करने के लिए कई बैठकें की गईं.

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