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गुजरात के आदिवासी इलाक़ों में बनेंगे 5 मेडिकल कॉलेज, चुनाव आ रहा है क्या ?

गुजरात सरकार की इस घोषणा का स्वागत होना ही चाहिए. लेकिन यह भी सच्चाई है कि पिछले चुनाव के साल में बनी आदिवासी युनिवर्सिटी, इन सभी सुविधाओं के बिना ही तो चल रही थी.

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे एसवाई क़ुरैशी ने एक कार्यक्रम में कहा था, ‘ जब-जब चुनाव आता है, जनता की प्लेट में पुलाव आता है.’

यह बात उन्होंने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के वादों और घोषणाओं के संदर्भ में कही थी. 2022 यानि अगले साल कई राज्यों के विधान सभा चुनाव हैं और उन राज्यों में गुजरात भी शामिल है. 

विश्व आदिवासी दिवस यानि सोमवार, 9 अगस्त को गुजरात के मुख्य मंत्री विजय रूपाणी ने राज्य के आदिवासी इलाक़ों के लिए कई बड़ी घोषणाएँ की हैं.

उन्होंने दावा किया है कि अगले 5 साल में उनकी सरकार आदिवासी इलाक़ों से जुड़ी योजनाओं पर कम से कम 100,000 करोड़ रूपये ख़र्च करेगी. 

गुजरात के मुख्य मंत्री विजय रूपाणी

रूपाणी ने कहा कि वनबंधु कल्याण योजना – 2 के तहत यह पैसा आदिवासियों के कल्याण के लिए ख़र्च होगा. विश्व आदिवासी दिवस पर उन्होंने वर्चुअल तरीक़े से बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय के मेन कैंपस का भूमि पूजन भी किया है. 

2017 में शुरू हुए बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय का काम फ़िलहाल एक कॉलेज की बिल्डिंग से ही चल रहा है. इस तथ्य में यह बात ध्यान रखने की है कि 2017 भी गुजरात में विधान सभा चुनाव का साल था. 

बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय गुजरात के नर्मदा ज़िले के राजपीपला से चलाया जा रहा है. सरकार का कहना है कि इस विश्वविद्यालय के नए कैंपस पर कम से कम 400 करोड़ रूपया ख़र्च किया जाएगा. 

इस पैसे से कम से कम 500 छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल भी बनेगा. इसके अलावा 39 एकड़ में बनने वाले इस कैंपस में स्पोर्ट्स की सुविधाएँ भी बनाई जाएँगी. इसके अलावा लाइब्रेरी का निर्माण भी किया जाएगा.

गुजरात सरकार की इस घोषणा का स्वागत होना ही चाहिए. लेकिन यह भी सच्चाई है कि पिछले चुनाव के साल में बनी आदिवासी युनिवर्सिटी, इन सभी सुविधाओं के बिना ही तो चल रही थी. 

बिरसा मुंडा युनिवर्सिटी के अलावा गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि आदिवासी इलाक़ों में कम से कम 5 मेडिकल कॉलेज खोलेगी. 

गुजरात में कुल 182 विधान सभा सीटों में से 27 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. ज़ाहिर है किसी भी राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में दम लगाना पड़ता है.

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