तेलंगाना में विधान परिषद के सदस्य (MLC) चुनावों के इतिहास में पहली बार आदिवासियों ने समुदाय की दो महिलाओं को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारकर विधान परिषद में प्रतिनिधित्व की मांग की है. उन्होंने मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया और उनकी उम्मीदवारी को आदिवासी जन संगठनों का समर्थन प्राप्त है.
जी सुधा रानी ने तत्कालीन खम्मम जिले के लिए स्थानीय निकायों के कोटे के तहत एमएलसी सीट और तत्कालीन आदिलाबाद एमएलसी सीट के लिए पी पुष्पा रानी के लिए नामांकन दाखिल किया.
आदिवासी संगठनों के नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने टीआरएस में सर्वोच्च राजनीतिक प्राधिकरण को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था. वे विधान परिषद में हाशिए पर रहने वाले समुदायों का प्रतिनिधित्व करने का मौका चाहते थे लेकिन उनकी दलीलें अनसुनी हो गईं.
पुष्पा रानी के नामांकन के दौरान एक आदिवासी नेता ने कहा, “हाल के वर्षों में हमने लंबाडा समुदाय के एमएलसी को देखा है लेकिन स्वतंत्र भारत के 75 वर्षों के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं था जब एक आदिवासी को या तो एमएलसी के रूप में या तेलंगाना में राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया गया था.”
आदिवासी नेताओं के मुताबिक बीजेपी, कांग्रेस और एमआईएम ने आदिवासी महिलाओं को अपना समर्थन दिया है जो निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही थीं.