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गडकरी ने बताया गांवों की समृद्धि और विकास का मंत्र, आदिवासी, ग्रामीण और कृषि केंद्रित अनुसंधान है जरूरी

कल यानी शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने छत्रपति संभाजीनगर में स्थित महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने देश के गांव की समृद्धि और विकास का मंत्र.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि गांवों की समृद्धि के लिए आदिवासी, ग्रामीण और कृषि केंद्रित अनुसंधान तथा नवाचार की जरूरत है.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नवी मुंबई के छत्रपति संभाजीनगर में महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “हम सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश हैं. हमारे प्रधानमंत्री देश को पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखते हैं. इसके लिए हमें आदिवासी, ग्रामीण और कृषि-केंद्रित अनुसंधान तथा नवाचार की आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा, ‘‘पहले देश की 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती थी और अब यह संख्या घटकर 65 प्रतिशत रह गई है. लोगों ने खुशी से नहीं बल्कि गांवों की समस्याओं के कारण पलायन किया है.’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आज हमारे पास कपास है जो सस्ता है लेकिन कपड़े महंगे हैं. संतरे और टमाटर सस्ते हैं लेकिन उनका रस महंगा है. हमें कृषि से लेकर बिजली और ऊर्जा क्षेत्र तक विविधीकरण के माध्यम से गांवों में समृद्धि लाने की जरूरत है. बायोमास से इथेनॉल बनेगा और हम कृषि अपशिष्ट से जैव-सीएनजी और एलएनजी बना सकते हैं.’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश 16 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात कर रहा है. अगर किसान ऊर्जा उत्पादन में शामिल हो जाएं और 10 लाख करोड़ रुपये की ऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम हों तो गांव समृद्ध होंगे और लोग गांवों में लौटेंगे.

छात्रों से ‘शॉर्टकट’ न अपनाने की अपील करते हुए गडकरी ने कहा, ‘‘यहां बैठे छात्रों को नौकरी देने वाला बनना चाहिए, नौकरी मांगने वाला नहीं. सीखने की कोई उम्र नहीं होती. हम जिस किसी से भी, जो कुछ भी सीख सकते हैं, सीखना चाहिए. कई मामलों में जो लोग स्कूल नहीं गए वे अद्भुत काम कर रहे हैं.’’

इसके अलावा इस समारोह में विश्वविद्यालय ने दिवंगत कवि वामनदादा कार्दक को उनके सामाजिक समानता और लेखन के लिए मरणोपरांत डी लिट से भी सम्मानित किया और इस अवसर पर विश्वविद्यालय के चांसलर अंकुशराव कदम और कुलपति विलास सपकाल, पूर्व शिक्षा मंत्री कमलकिशोर कदम भी शामिल थे.

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