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केरल: इरुला आदिवासी बस्ती में पहली बार पहुंचा इंटरनेट, कई सरकारी विभागों की कोशिशों का नतीजा

यहां के लोगों की इंटरनेट कनेक्टिविटी की मांग पुरानी है. ख़ासतौर पर लॉकडाउन के दौरान इन इरुला परिवारों के बच्चे अपनी ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे थे. हर रोज़ उन्हें इंटरनेट के लिए शोलयूर तक जाना पड़ता था.

केरल के पालक्काड ज़िले के सिरुवाणी जंगल के अंदर शिंगपारा आदिवासी कॉलोनी के बच्चों को अब ऑनलाइन क्लास करने में आसानी होगी. पहली बार उनके गांव तक इंटरनेट पहुंच गया है.

अट्टपाडी के शोलयूर ग्राम पंचायत के तहत आने वाले 36 इरुला आदिवासी परिवारों को अब तक इंटरनेट के लिए घने जंगलों से निकलकर तीन घंटे लंबा सफ़र तय कर शोलयूर जाना पड़ता था.

यहां के लोगों की इंटरनेट कनेक्टिविटी की मांग पुरानी है. ख़ासतौर पर लॉकडाउन के दौरान इन इरुला परिवारों के बच्चे अपनी ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे थे. हर रोज़ उन्हें इंटरनेट के लिए शोलयूर तक जाना पड़ता था.

हालांकि, इंटरनेट आने की खुशी इन बच्चों में कुछ ही देर के लिए रही, क्योंकि उन्हें बताया गया कि सबकलेक्टर अर्जुन पांडियन का तबादला वायनाड कर दिया गया है. पांडियन की कोशिशों से ही इंटरनेट यहां पहुंचा है.

अर्जुन पांडियन ने बताया कि इसी साल फ़रवरी में शिंगपारा आदिवासी कॉलोनी के दौरे पर उन्हें पता चला कि डिग्री कोर्स करने वालों सहित कई बच्चे ऑनलाइन क्लास के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए पांच किलोमीटर पैदल जाते थे.

उनकी पहल से वन विभाग, सिरुवानी सिंचाई परियोजना, जनजातीय विकास विभाग और भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने संयुक्त प्रयास कर इंटरनेट यहां पहुंचाया.

वन अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद सिरुवानी सिंचाई परियोजना ने सिरुवानी बांध में जल स्तर की निगरानी के लिए स्थापित अपनी बीएसएनएल लीज़लाइन सुविधा का विस्तार किया. वाइफाई राउटर की मदद से अब इन घरों में इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है.

शुरुआत में 8 Mbps स्पीड के साथ इंटरनेट लाइन दी गई है, जिसके ज़रिये लगभग 10 लोग एक साथ इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं. आने वाले दिनों में इस सुविधा का विस्तार किया जाएगा.

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