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आदिवासी उग्रवादी समूहों के साथ SoO समझौता क्या है जिससे मणिपुर सरकार पीछे हट गई

मणिपुर में लगभग 30 कुकी विद्रोही समूह हैं, जिनमें से 25 भारत सरकार और राज्य के साथ त्रिपक्षीय संचालन निलंबन (SoO) के तहत हैं. इनमें से 17 समूह कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) के तहत हैं और आठ यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के तहत हैं. राजनीतिक संवाद शुरू करने के उद्देश्य के साथ केंद्र और मणिपुर सरकार ने 22 अगस्त, 2008 को SoO समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

मणिपुर (Manipur) सरकार पूर्वोत्तर राज्य में दो पहाड़ी-आधारित आदिवासी उग्रवादी संगठनों कुकी नेशनल आर्मी (Kuki National Army) और जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी (Zomi Revolutionary Army) के साथ हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते से पीछे हट गई है. इस समझौते को सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (Suspension of Operations) का नाम दिया गया था.

बीजेपी के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने 10 मार्च को आदिवासी उग्रवादी समूहों के साथ एसओओ समझौते से हटने का फैसला ये आरोप लगाते हुए किया कि वे “जंगल पर क़ब्ज़ा करने वालों का साथ दे रहे हैं.”

राज्य सरकार ने दावा किया कि धारा 144 का उल्लंघन करते हुए हाल ही में आयोजित एक विरोध रैली के पीछे दो समूहों कुकी नेशनल आर्मी और ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी थे.

आरक्षित वनों, संरक्षित वनों, वन्यजीव अभ्यारण्यों के नाम पर आदिवासियों की भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कुकी इंपी और केएसओ सहित विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित हिंसक जन रैली के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

कैबिनेट ने यह भी कहा कि कुछ कारणों से आयोजित सामूहिक रैलियां असंवैधानिक और अवैध हैं.

इसके अलावा सीएम बीरेन ने पुष्टि की कि राज्य सरकार राज्य के वन संसाधनों की रक्षा और अफीम की खेती को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों से कोई समझौता नहीं करेगी.

करीब 17 संगठन KNO के अधीन हैं जबकि 8 UPF के अंतर्गत हैं और इन संगठनों के कैडर फिलहाल सरकार द्वारा स्थापित तय शिविरों में रह रहे हैं.

कुकी उग्रवादियों ने मणिपुर के भीतर एक अलग कुकी राज्य की मांग की थी और हाल ही में एक कुकी क्षेत्रीय परिषद की मांग की थी और इस एजेंडे पर राजनीतिक संवाद पहले ही शुरू हो चुका था.

कुकी विद्रोह की जड़ें क्या हैं?

जब नागा आंदोलन देश का सबसे लंबे समय तक चलने वाले उग्रवाद के रूप में उभरा था, तभी भूमिगत कुकी समूहों ने भी मणिपुर में फैले एक ‘स्वतंत्र कुकी मातृभूमि’ के लिए भारत सरकार से लड़ाई लड़ी.

1990 के दशक की शुरुआत में कुकी विद्रोह ने मणिपुर के नागाओं के साथ जातीय संघर्ष के बाद गति पकड़ी साथ ही कुकी ने नागा आक्रमण के खिलाफ खुद को तैयार किया.

दो जनजातियों ने औपनिवेशिक काल से एक शत्रुतापूर्ण संबंध साझा किया है जो 1990 के दशक में नागा-कुकी संघर्ष होने पर चीजें सामने आईं. वो भूमि जिसे कुकी लोग मणिपुर की पहाड़ियों में अपनी “मातृभूमि” होने का दावा करते हैं, वहीं ग्रेटर नागालैंड या नागालिम की काल्पनिक नागा मातृभूमि के साथ ओवरलैप करती है.

माना जाता है कि 1993 में टेंग्नौपाल में NSCN-IM द्वारा 115 कुकी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार दिया गया था. जिसे अभी भी कुकी द्वारा ‘ब्लैक डे’ के रूप में मनाया जाता है.

SoO क्या है?

मणिपुर में लगभग 30 कुकी विद्रोही समूह हैं, जिनमें से 25 भारत सरकार और राज्य के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (Suspension of Operations) समझौता हुआ है. इस समझौते में शामिल सभी पक्षों के बीच सहमति बनी थी के कोई भी एक दूसरे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा.

इनमें से 17 समूह कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) के तहत हैं और आठ यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के तहत हैं.

राजनीतिक संवाद शुरू करने के उद्देश्य के साथ केंद्र और मणिपुर सरकार ने 22 अगस्त, 2008 को SoO समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

वार्ताकार के रूप में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व विशेष सचिव एबी माथुर के नेतृत्व में वार्ता चल रही है.

कुकी संगठन जो शुरू में एक अलग कुकी राज्य की मांग कर रहे थे, अब एक ‘कुकीलैंड क्षेत्रीय परिषद’ में आ गए हैं, जिसके पास मणिपुर विधानसभा और सरकार से स्वतंत्र वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां है.

SoO संधि की शर्तें क्या हैं?

SoO समझौते की अवधि एक वर्ष है, इसके कार्यान्वयन की प्रगति के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है.

SoO समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन की देखरेख के लिए संयुक्त निगरानी समूह (Joint Monitoring Group) नामक एक समिति का गठन किया गया है, जिसमें सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के प्रतिनिधि शामिल हैं.

संधि के तहत महत्वपूर्ण शर्तें यह हैं कि राज्य और केंद्रीय बलों सहित सुरक्षा बलों को न तो कोई अभियान शुरू करना है और न ही भूमिगत समूह यानि चरमपंथी संगठन कोई अभियान शुरू करेंगे.

यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के हस्ताक्षरकर्ता भारत के संविधान, देश के कानूनों और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का पालन करेंगे.

इसके अलावा उग्रवादी कैडरों को सरकार द्वारा चिन्हित नामित शिविरों में सीमित किया जाता है. हथियारों को डबल लॉकिंग सिस्टम के तहत एक सुरक्षित कमरे में जमा किया जाता है. समूहों को केवल अपने शिविरों की रक्षा करने और अपने नेताओं की सुरक्षा के लिए हथियार दिए जाते हैं.

पुनर्वास पैकेज के रूप में नामित शिविरों में रहने वाले यूजी कैडरों को 5000 रुपये मासिक वजीफा दिया जाता है. नामित शिविरों को बनाए रखने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है.

आगे क्या?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2022 के चुनावों से पहले बीजेपी के सत्ता में आने पर कुकी मुद्दे को “हल” करने का वादा किया था. कुकी समूहों ने भी आधिकारिक रूप से भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी.

लेकिन बीरेन सरकार द्वारा इस एसओओ समझौते को रद्द किए जाने से अब इस व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं.

केएनओ के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप ने कहा कि आगे क्या होता है, यह केंद्र का फैसला होगा.

SoO समझौते से सरकार के पीछे हटने से कुकी लोगों में काफी चिंता पैदा हो गई है, जिन्हें डर है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जाएगी.

हालांकि, सरकार ने जनता को आश्वासन दिया है कि वह कुकी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और समुदाय के मुद्दों और शिकायतों को हल करने की दिशा में काम करना जारी रखेगी.

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