जम्मू और कश्मीर जनजातीय मामलों के विभाग ने प्रवास के दौरान परेशानी मुक्त आवाजाही और सेवाओं तक पहुंच के लिए ट्रांसह्यूमन आदिवासी परिवारों को स्मार्ट कार्ड देने के नियमों को अंतिम रूप दे दिया है.
ट्रांसह्यूमेंस आजीविका और संसाधन प्रबंधन के लिए पशुचारक समुदायों और उनके पशुधन का मौसम के हिसाब से माइग्रेशन है. यह समुदाय गर्मियों के दौरान हिमालय के चरागाहों और सर्दियों के दौरान मैदानी इलाकों के बीच साल में दो बार माइग्रेट करते हैं.
पुलिस, वन विभाग और जनगणना संचालन विभाग के समन्वय में स्मार्ट कार्ड के डिजाइन और सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए बैठक की अध्यक्षता आदिवासी मामलों के सचिव शाहिद इकबाल चौधरी ने की.
जनजातीय कार्य विभाग का स्वायत्त यूनिट ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट इस संबंध में अलग अलग योजनाओं की तैयारियों का समन्वय करेगा.
“लगभग एक लाख प्रवासी परिवारों के कवरेज के लिए कदम उठाने के लिए मार्च में 10,000 स्मार्ट कार्ड की एक पायलट परियोजना शुरू की जाएगी. योजनाओं के फायदों को लोगों तक पहुंचाने के लिए आधार लिंकेज जल्दी पूरी की जा रही है,” एक अधिकारी ने बताया.
स्मार्ट कार्डों के बनने से इन आदिवासी समुदायों को योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अलग अलग विभागों की मदद नहीं लेनी पड़ेगी. इसके अलावा माइग्रेशन के दौरान ट्रांसह्यूमन परिवारों की सुचारू और परेशानी मुक्त आवाजाही के लिए सभी संगठनों और एजेंसियों को एक सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस मिलेगा.
अधिकारियों ने कहा कि डेमोग्राफी, माइग्रेशन का रास्ता, मूल स्थान, गंतव्य और दूसरे जरूरी आंकड़ों वाली स्मार्ट चिप के साथ ये कार्ड आदिवासियों का जीवन आसान कर देगा.
कार्ड का इस्तेमाल प्रवासी आबादी के लिए शुरू की गई कई सरकारी सेवाओं के लिए भी किया जाएगा. पिछले साल विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर यह स्मार्ट कार्ड जारी किए जाएंगे.