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जम्मू-कश्मीर की खानाबदोश जनजातियों ने सर्दियों से पहले शुरू किया पलायन, सरकार परिवारों को दे रही परिवहन सुविधा

अनंतनाग के उपायुक्त बशारत कयूम ने कहा कि अनंतनाग से आदिवासी प्रवासी परिवारों और पशुओं के साथ 10 ट्रकों का पहला जत्था जम्मू क्षेत्र के लिए रवाना हुआ. दस में से आठ ट्रक सुरक्षित पहुंच गए जबकि दो रास्ते में हैं.

सर्दीयां नजदीक है, ऐसे में जम्मू और कश्मीर की खानाबदोश बकरवाल जनजाति ने कश्मीर की कड़ाके की ठंड से बचने के लिए ऊपरी इलाकों यानी जम्मू के मैदानी इलाकों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है. हर साल, मार्च के अंत तक, हजारों खानाबदोश अपनी वार्षिक मौसमी यात्रा जम्मू क्षेत्र से लाखों भेड़ और बकरियों के साथ कश्मीर घाटी तक पहुंचने के लिए शुरू करते हैं.

इसके बाद ये परिवार अक्टूबर में जम्मू क्षेत्र के गर्म ज़िलों में लौटते हैं. लेकिन उनकी नियमित आवाजाही में कई हफ्ते लगते थे, पर अब आदिवासी परिवारों और उनके पशुओं को लिफ्ट देने की पेशकश की गई है.

पहली बार, जम्मू और कश्मीर के आदिवासी मामलों के विभाग ने खानाबदोश आदिवासी आबादी को कश्मीर के उच्च भूमि वाले चारगाहों से लेकर जम्मू के ज़िलों तक पहुंचाने के लिए पशुओं और परिवारों के परिवहन के लिए ट्रकों का इस्तेमाल किया है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि गुज्जर और बकरवाल सहित आदिवासी समुदायों के सात लाख लोग हर साल अपने पशुओं के साथ यात्रा करते हैं, जिनमें से ज्यादातर गर्मियों में जम्मू से कश्मीर और सर्दियों में वापस आते हैं. परिवहन सुविधा इन परिवारों में से कुछ के यात्रा समय को 20-30 दिनों से कम करके 1-2 दिन कर देगी.

अधिकारी ने कहा कि मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले से राजौरी में आदिवासी परिवारों का रिवर्स वर्टिकल माइग्रेशन शुरू हो गया है. ज़िला रामबन में पिक-अप पॉइंट से सरकारी परिवहन उपलब्ध कराया जा रहा है साथ ही हेल्पडेस्क भी स्थापित किए गए हैं.

अधिकारी ने आगे कहा कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन विभिन्न स्तरों पर लगातार काम कर रहा है और उनके विकास और बेहतरी के लिए मिशन मोड में काम करेगा.

अनंतनाग के उपायुक्त बशारत कयूम ने कहा कि अनंतनाग से आदिवासी प्रवासी परिवारों और पशुओं के साथ 10 ट्रकों का पहला जत्था जम्मू क्षेत्र के लिए रवाना हुआ. दस में से आठ ट्रक सुरक्षित पहुंच गए जबकि दो रास्ते में हैं.

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में कई आदिवासी इस बात से बेहद खुश हैं कि सरकार उनकी यात्रा को गंभीरता से ले रही है और उन्हें वापस जाने में मदद कर रही है. राजौरी ज़िले के एक बुजुर्ग आदिवासी अब्दुल सुलेमान ने कहा, “हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि सरकार हमें परिवहन सुविधाएं प्रदान कर रही है.”

उन्होंने कहा कि वापसी की यात्रा के दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था और सरकार अब उन्हें परिवहन सुविधा मुहैया करा रही है जो उनके समुदाय के लिए एक सकारात्मक कदम है.

इसी तरह एक अन्य खानाबदोश मोहम्मद जुबैर खान ने कहा कि इस साल सरकार ने उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया कराई हैं. उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार हमें भविष्य में इसी तरह की सुविधाएं मुहैया कराएगी.”

बांदीपोरा ज़िले में खानाबदोशों के एक समूह ने कहा कि पिछले कई दिनों से प्रशासन उनके संपर्क में है और परिवहन मुहैया कराकर उन्हें वापस जम्मू क्षेत्र भेजने के लिए गंभीर है. इसी तरह मध्य कश्मीर के गांदरबल ज़िले में भी कई खानाबदोश परिवार ज़िले के ऊंचाई वाले इलाकों से वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं.

56 वर्षीय खानाबदोश लियाकत खान ने कहा, “जब हम मार्च के महीने में कश्मीर आए थे, तब भी हमें सरकार द्वारा परिवहन की सुविधा प्रदान की गई थी. अब हम वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं और हमें अभी भी परिवहन सुविधा मिलेगी, इसलिए हमें राजौरी ज़िले के अपने पैतृक गांवों तक पहुंचने में बहुत कम समय लगेगा.”

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