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झारखंड: आदिवासी विश्वविद्यालय विधेयक विधानसभा में पास, आदिवासी भाषा और संस्कृति होंगी संरक्षित

यह विश्वविद्यालय पंडित रघुनाथ मुर्मू की स्मृतियों को समर्पित होगा. कुछ महीने पहले हुए झारखंड की जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में भी जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने पर सहमति बनी थी. इसे जमीनी स्तर पर उतारने के लिए सरकार ने बुधवार को विधेयक पारित कराया.

झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायकों के वॉकआउट के बीच बुधवार को चार विधेयक पारित किए गए. इनमें एक आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने से संबंधित विधेयक भी था.

राज्य सरकार ने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022, पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022 (Pandit Raghunath Murmu Tribal University Amendment Bill 2022) सदन से पारित करा लिए.

इस विधेयक को पहले झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने विसंगतियों और हिंदी-अंग्रेजी संस्करणों के बीच बेमेल होने पर सुधार के लिए वापस कर दिया था.

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahto) की अनुपस्थिति में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इन विधेयकों को सदन के पटल पर रखा और सीपीआई (एमएल) के विधायक विनोद कुमार सिंह और आज्सू के विधायक लंबोदर महतो ने इन विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की थी.

विधेयक पेश करते हुए, ठाकुर ने कहा कि राज्य में गरीबों और आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए विधेयक तैयार किया गया है और पूरी समीक्षा के बाद इसे पेश किया गया है. इसके बाद सदन ने इसे पारित कर दिया. मिथिलेश ठाकुर ने यह भी कहा कि इससे राज्य के 3064 प्रोफेसरों और लेक्चरर की नियुक्ति का रास्ता साफ़ होगा.

प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का नाम पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय होगा. पंडित मुर्मू को जनजातीय संताली भाषा का सबसे बड़ा संवर्धक माना जाता है. उन्होंने ‘ओलचिकी’ का अविष्कार किया. संताली भाषा की ज्यादातर कृतियों और साहित्य की रचना इसी लिपी में की गई हैं. मयूरभंज आदिवासी महासभा ने उन्हें गुरु गोमके (महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की थी.

यह विश्वविद्यालय उनकी स्मृतियों को समर्पित होगा. कुछ महीने पहले हुए झारखंड की जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में भी आदिवासी विश्वविद्यालय खोलने पर सहमति बनी थी. इसे ज़मीनी स्तर पर उतारने के लिए सरकार ने बुधवार को विधेयक पारित कराया.

यह यूनिवर्सिटी जमशेदपुर के गालूडीह और घाटशिला के बीच स्थापित होगी. सरकार ने इसके लिए 20 एकड़ जमीन भी चिन्हित कर ली है. विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इसके माध्यम से जनजातीय भाषाओं और आदिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजने, उन पर शोध करने और आदिवासी समाज के मेधावी विद्धार्थियों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में जनजातीय समुदाय की आबादी 26 फीसदी से ज़्यादा है. इन आदिवासी समुदायों की अपनी भाषा औप लिपि है. इसमें संताली, खोरठा, कुरमाली आदि प्रमुख हैं. झारखंड से सटे राज्यों बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार में भी आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है.

ट्राइबल यूनिवर्सिटी के लिए जो जगह चिन्हित की गई है, वह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे है. विश्विद्यालय का निर्माण होने से पड़ोसी राज्यों के विद्धार्थियों को भी फ़ायदा होगा. फिलहाल बंगाल में कोई जनजातीय विश्विद्यालय नहीं है, वहीं ओडिशा में एक निजी जनजातीय विश्विद्यालय है.  

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