सिक्किम, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और डुआर्स इलाके के गोरखा समुदाय और अन्य छूटे हुए समूहों को जनजातीय का दर्जा दिलाने के लिए संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) का गठन किया गया है.
दरअसल, गोरखा समुदाय के लोग समूह को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने को लेकर एकजुट हो गए हैं. सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कई गोरखा समुदाय के करीब दो दर्जन गोरखा उप-जनजातियों को शामिल करने की अपनी मांग उठा रहे हैं.
रविवार को पश्चिम बंगाल के 11 वंचित गोरखा समुदायों और सिक्किम के 12 समुदायों के प्रतिनिधियों ने बंगाल के सिलीगुड़ी में एक बैठक की. बैठक की अध्यक्षता सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले ने की.
बैठक में दार्जलिंग से बीजेपी सांसद राजू बिस्टा, सिक्किम से लोकभा सांसद इंद्र हंग सुब्बा और सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा भी शामिल हुए. इस दौरान सिक्किम के कुछ मंत्री और पश्चिम बंगाल के विधायक भी मौजूद थे.
इस दौरान मुख्यमंत्री प्रेम सिंह ने मीडिया से कहा, ” हम अपने राज्य के 12 समुदायों को आदिवासी का दर्जा दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अब हम इसे संयुक्त रूप से करेंगे. सिक्किम और दार्जलिंग का एक समूह बनाया गया है. गोरखा को आदिवासी का दर्जा देने के लिए एक टीम बनाई गई है. जिसमें सिक्किम और पश्चिम बंगाल से पांच-पांच सदस्य हैं. संयुक्त टीम अब आंदोलन का नेतृत्व करेगी और भविष्य की रणनीति तैयार करेगी.”
वहीं बीजेपी सांसद राजू बिस्टा ने कहा, “मांग पूरी करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. राजनीतिक दल और भारत सरकार की भाषा अलग-अलग है. हम बीजेपी और भारत सरकार दोनों पर दबाव बना रहे हैं. अगर सरकार नहीं समझती है तो हम दार्जलिंग से सिक्किम तक मार्च करेंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को अधिकारों की गारंटी देता है और अब समय आ गया है कि गोरखा और अन्य वंचित समुदायों को वह मिले, जिसके वे हकदार हैं.”
इससे पहले 11 समुदायों को आदिवासी का दर्जा देने के बंगाल सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए केंद्र ने 2016 में तीन समितियों का गठन किया था. जनजातीय मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम आर शेरिंग की अध्यक्षता वाली एक टीम द्वारा 2019 में संकलित अंतिम रिपोर्ट ने इस मामले को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) कार्यालय के पाले में डाल दिया.
बीजेपी ने 2014 में 12 समुदायों को जनजातीय दर्जा देने का वादा किया था और इसे पार्टी के 2019 लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में भी शामिल किया गया था. लेकिन अभी तक इस वादे को पूरा नहीं किया गया है.
हाल ही में केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम ने संसद में सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्टा के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने राज्य में 12 समुदायों को जनजातीय दर्जा देने के सिक्किम सरकार के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है.
ओराम ने लेप्चा को दिए अपने जवाब में कहा, “रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने उत्तर दिया है कि इस मुद्दे की उनके द्वारा पहले ही जांच की जा चुकी है और सिफारिश के लिए विचार नहीं किया गया है.”
इन 12 गोरखा समूहों में माझी सहित किरात/खंबू/राय, गुरुंग, मंगर, थामी, संन्यासी (जोगी), बाहुन, छेत्री, भुजेल, किरात/दीवान, सुनुवार और नेवार शामिल हैं.
दार्जिलिंग कलिम्पोंग और डुआर्स इलाके में 11 समुदाय हैं जिनमें भुजेल, गुरुंग, मंगर, नेवार, जोगी, खास, राय, सुनुवार, थामी, यखना (दीवान) और दीमा शामिल हैं.
(Photo credit: ANI)