झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) ने रविवार को अपने 46वें स्थापना दिवस पर 50 सूत्री प्रस्ताव पारित किया. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) से झारखंड में सीएए, यूसीसी और एनआरसी को खारिज करने की मांग की गई.
कार्यक्रम में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन शामिल हुए. हर साल 2 फरवरी को मनाया जाने वाला यह पारंपरिक कार्यक्रम पार्टी को आदिवासी गढ़ में अपनी ताकत दिखाने का एक मंच प्रदान करता है.
वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की भारी जीत के बाद इस साल इसका विशेष महत्व है.
प्रस्ताव में झारखंड से सीएए, यूसीसी और एनआरसी को खारिज करने के अलावा संथाल परगना काश्तकारी (SPT) अधिनियम और छोटानागपुर काश्तकारी (CNT) अधिनियम को सख्ती से लागू करने की मांग की गई.
साथ ही मांग की गई कि बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 25(3) के तहत दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की जाए.
कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद सभी नेताओं ने एक स्वर से इन प्रस्तावों पर सहमति जताई.
पार्टी के जिला अध्यक्ष शिव कुमार बास्की ने संथाल परगना (Santhal Pargana) समेत राज्य की जनता की समस्याओं और बुनियादी मांगों को लेकर प्रस्ताव पढ़ा.
वहां उपस्थित लोगों ने ढोल बजाकर उनका समर्थन किया साथ ही प्रस्तावों और समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने की मांग की.
साथ ही निर्णय लिया गया कि 50 सूत्रीय प्रस्तावों को ज्ञापन के रूप में डिविजनल कमिश्नर के माध्यम से सरकार को भेजा जाएगा ताकि प्राथमिकता के आधार पर इसे सरकार के एजेंडे में शामिल किया जा सके और राज्यहित में समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जा सके.
इसके अलावा प्रस्ताव में उपराजधानी दुमका में मिनी सचिवालय की स्थापना, वहां मुख्यमंत्री का कैंप कार्यालय व्यवस्थित और प्रभावी तरीके से शुरू करने. साथ ही यहां ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित करने की भी मांग की गई है.
मांग पत्र में दुमका को पूर्ण उपराजधानी का दर्जा देने पर जोर दिया गया है.
इसके अलावा झारखंड में विस्थापन और पुनर्वास की स्पष्ट नीति बनाने, पुनर्वास की व्यवस्था के साथ ही नौकरियों में विस्थापितों को प्राथमिकता देने की भी मांग की गई है.
सोरेन ने केंद्र पर लगाया पक्षपात करने का आरोप
इससे पहले दोपहर में चाईबासा में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान सीएम सोरेन ने झारखंड के लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और क्षेत्र के लिए 412 करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजनाओं की घोषणा की.
केंद्र की भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए सोरेन ने कहा कि झारखंड अपने खनिज संसाधनों से देश के खजाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है लेकिन केंद्रीय बजट में राज्य और यहां की आदिवासी आबादी के लिए कुछ भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि वे इस राज्य के लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि सामंती मानसिकता वाले कुछ लोग नहीं चाहते कि आदिवासी बहुल झारखंड के निवासी अपने पैरों पर खड़े हों.
सोरेन ने कहा, “झारखंड अपने खनिज संसाधनों के साथ देश के खजाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. लेकिन बजट में राज्य के लिए कुछ भी नहीं है. हमारे आदिवासी लोगों के लिए कुछ भी नहीं है.”
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट अमीरों के लिए है और गरीबों के लिए इसमें कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘कर (आयकर) में छूट दी गई, लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि मुद्रास्फीति आसमान छू रही है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कोई बदलाव नहीं किया गया है.’’
सोरेन ने कहा, ‘‘उन्होंने ज्ञान (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी) के रूप में एक नया जुमला पेश किया है, जिसमें लोगों को अनुदान के माध्यम से नहीं बल्कि ऋण के माध्यम से मदद करने का वादा किया गया है.’’
कल्पना सोरेन ने बीजेपी पर साधा निशाना
वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय से विधायक कल्पना सोरेन ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.
जेएमएम के संघर्ष को याद करते हुए कल्पना सोरेन ने कहा कि आज पार्टी को 46 साल हो रहे हैं, इतनी तो मेरी उम्र भी नहीं है. आज हम गुरुजी (शिबू सोरेन) को याद करते हैं. गुरुजी शारीरिक तौर पर भले ही मंच पर नहीं हैं, पर गुरुजी को अपने दिल में समा कर रखे हैं.
कल्पना ने कहा कि हम आदिवासी लोग अपने संस्कृति पर गर्व करते हैं, क्योंकि यही हमारी पहचान है. 2024 में अपने झारखंड में नया इतिहास रचा है. झारखंड में पहली बार हुआ कि जनता ने किसी सरकार को दोबारा फिर से बैठाया है. अब आप बार-बार हेमंत दादा को चाहेंगे.
कल्पना सोरेन ने कहा कि पिछले साल 31 जनवरी को हेमंत सोरन को जेल हुआ था, वो भी झूठा आरोप में. झूठा आरोप लगा था झारखंड लूटने का. उन लोगों को जनता ने बता दिया कि झारखंड में अगर कोई चलेगा तो अबुआ सरकार.
उन्होंने कहा कि आज आपको संकल्प लेकर जाना है, झारखंड मुक्ति मोर्चा का परचम भारत के दूसरे राज्यों में भी लहराएंगे. देश में हेमंत सोरेन की ज्यादा जरुरत है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र से एक लाख 36 हजार करोड़ अब तक हमें मिला नहीं है. तीर धनुष में हमारा इतिहास है. तीर धनुष के हम सब का खून बसा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का इतिहास आपने देखा है. झारखंड में गठबंधन की सरकार बनाने का सारा क्रेडिट जनता को जाता है.