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कर्नाटक के प्रभावशाली मठाधीश आदिवासी नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार

मठाधीश को एफआईआर दर्ज होने के सात दिनों बाद गिरफ्तार किया गया है. शरणारू राज्य के सबसे प्रमुख लिंगायत (Lingayat) मठ के धर्मगुरू हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने मठ के ही स्कूल में पढ़ने और छात्रावास में रहने वाली 15 और 16 वर्ष की दो लड़कियों का यौन-उत्पीड़न किया.

कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में स्थित मुरुघा मठ (Murugha Math) के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारु (Shivamurthy Murugha Sharanaru) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उनपर दो नाबालिग लड़कियों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. सूत्रों ने बृहस्पतिवार को उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद बताया कि पुलिस ने पूछताछ के बाद मठाधीश को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने कहा कि मुरुघा मठ के मुख्य पुजारी शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू, कर्नाटक के राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लिंगायत समुदाय के एक धार्मिक नेता को हाई स्कूल की लड़कियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया और 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

पुलिस ने पूछताछ के बाद 64 वर्षीय संत को हिरासत में लिया. गिरफ्तारी कर्नाटक के चित्रदुर्ग और मैसूर जिलों में नागरिक समाज और विभिन्न संगठनों के दिन भर के विरोध के बाद रात करीब 10.15 बजे हुई.

राज्य में लिंगायत समुदाय के सबसे प्रतिष्ठित एवं प्रभावशाली मठों में से एक के मठाधीश से पुलिस उपाधीक्षक अनिल कुमार ने एक अज्ञात स्थान पर पूछताछ की. कुमार इस मामले में जांच अधिकारी हैं. इसके बाद उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया और प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आवास पर उन्हें पेश किया गया.

पुलिस अधीक्षक परशुराम ने बताया कि जज ने मठाधीश को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिसके बाद उन्हें चित्रदुर्ग के जिला कारागार भेजा गया.

मैसुरु शहर की पुलिस ने कथित यौन शोषण के लिए शिवमूर्ति के खिलाफ बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) कानून तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं में एक प्राथमिकी दर्ज की थी. मठाधीश पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया है क्योंकि एक पीड़िता अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है.

प्राथमिकी जिला बाल संरक्षण इकाई के एक अधिकारी की शिकायत पर मठ के छात्रावास के वार्डन समेत पांच लोगों के खिलाफ दर्ज की गई पुलिस ने बृहस्पतिवार को वार्डन से भी पूछताछ की.

दरअसल दो लड़कियों ने मैसुरु में एक गैर-सरकारी संगठन का रुख करते हुए उन्हें कथित यौन शोषण की जानकारी दी थी जिसके बाद संगठन ने अधिकारियों से संपर्क किया और पुलिस ने मामला दर्ज किया. इस मामले को चित्रदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया क्योंकि कथित अपराध वहीं हुआ था. गिरफ्तारी के मद्देनजर पुलिस ने चित्रदुर्ग में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं.

शिवमूर्ति ने पहले दावा किया था कि उनके खिलाफ आरोप लंबे समय से रचे जा रहे एक षडयंत्र का हिस्सा है तथा वह कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं और जांच में सहयोग करेंगे.

कर्नाटक के मठ और उनका राजनीतिक प्रभाव

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और लिंगायत पुजारी की गिरफ्तारी का राजनीतिक असर भी पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. मुरुघा मठ, राज्य का एक प्रमुख लिंगायत मठ है, जिसे सभी राजनीतिक दलों के बीच प्रभावशाली माना जाता है.

लिंगायत मठों जैसे सुत्तूर मठ, मुरुघा मठ और अन्य का प्रभाव चुनाव में मतदान किसके पक्ष में करना है से लेकर, राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, यहां तक पड़ता है. इन मठों द्वारा समर्थित नेताओं के दबदबे का एक बढ़िया उदाहरण हैं, बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा. साल 2020 में, जब अटकलें लगाई जा रही थीं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को बदला जाएगा तो मुरुघा मठ के शिवमूर्ति पहले धार्मिक नेताओं में से थे जिन्होंने सार्वजनिक रूप से येदियुरप्पा का समर्थन किया था.

शिवमूर्ति मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर कर्नाटक के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी चुप्पी साधना ठीक समझा क्योंकि उसे राज्य की राजनीति में एक प्रमुख वोट बैंक ‘लिंगायत समुदाय’ के विरोध का डर था. दरअसल कर्नाटक में मतदान करने वाली आबादी का लगभग 18 फीसदी हिस्सा लिंगायत समुदाय से आता है.

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