केरल में दूरदराज़ की आदिवासी बस्तियों में बिजली आपूर्ति की कमी छह महीनों के अंदर पूरी कर दी जाएगी. बिजली मंत्री के कृष्णनकुट्टी के कार्यालय ने कहा है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक महीने के अंदर एक कार्ययोजना तैयार की जाने का प्लान है.
सरकार ने 60 से ज़्यादा ऐसी आदिवासी बस्तियों की पहचान की है, जहां बिजली अब तक नहीं पहुंची है. बिजली मंत्री और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के. राधाकृष्णन के बीच चर्चा में यह फ़ैसला लिया गया.
घने जंगलों के अंदर बसी कुछ आदिवासी बस्तियों में दूरी और उन तक पहुंचने की मुश्किल के चलते वहां बिजली की आपूर्ति करना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे इलाक़ों में डिस्ट्रिब्यूशन लाइनों का निर्माण बेहद मुस्किल होगा. इन हालात में बिजली विभाग को सौर फोटोवोल्टेक सिस्टम जैसे विकल्पों के बारे में सोचना होगा.
कार्य योजना के तहत बस्तियों को बिजली पहुंचाने के लिए ज़रूरी तकनीकों को शामिल किया जाएगा. राज्य और ज़िला स्तर पर संबंधित विभागों के सचिवों की समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है.
केरल ने खुद को मई 2017 में पूरी तरह से विद्युतिकृत (Electrified) घोषित किया था. लेकिन कई आदिवासी इलाक़ों में बिजली की आपूर्ति सपना ही रही. वजह है इन तक पहुंच. उस समय कई बस्तियों में सोलर लैंप लगाए गए थे, लेकिन नियमित रखरखाव के बिना यह ख़राब हो गईं.
घने जंगलों में वन विभाग ने पेड़ों के ऊपर से पावारलाइन ले जाने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि इनसे जंगली जानवरों को ख़तरा होता है. उम्मीद है कि सरकार की लेटेस्ट घोषणा रंग लाएगी, और राज्य के सभी आदिवासी गांवों में बिजली पहुंचेगी.