केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को हुए भयानक भूस्खलन के बाद अब तक कोई राहत राशि नहीं मिली है जिसके चलते केरल हाईकोर्ट ने खुद से इस मामले का संज्ञान लिया है. वायनाड एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है जहां इस आपदा के बाद लोग गंभीर संकट से गुजर रहे हैं.
लगभग 2 महीने का समय बीत चुका है और अक्टूबर के भी 10 दिन गुजर चुके हैं लेकिन अभी तक राज्य को केंद्र सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई है.
केरल हाईकोर्ट ने इस देरी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से तत्काल कदम उठाने को कहा है. न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी.एम. की बैंच ने कहा कि वायनाड को जितनी जल्दी हो सके वापस पटरी पर लाना जरूरी है और इसके लिए सकारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए.
भूस्खलन के बाद इस क्षेत्र के आदिवासी और अन्य प्रभावित लोगों की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया कोष (NDRF) और केंद्र सरकार की तरफ़ से कोई धनराशि जारी नहीं की गई.
यह भी देखा गया कि तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों को इसी दौरान राहत राशि मिल चुकी है, लेकिन केरल का वायनाड अभी तक इस सहायता से वंचित है.
केंद्र सरकार की तरफ़ से मौजूद एडिशनल सॉलिस्टर जनरल ए.आर.एल. सुंदरेसन ने अदालत से 18 अक्टूबर तक का समय मांगा है ताकि केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) से निर्देश मिल सकें.
अदालत ने इस समय सीमा को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया कि तब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
इस प्राकृतिक आपदा में वायनाड के चार गांव पूरी तरह नष्ट हो गए थे. 231 लोगों की मौत हो चुकी है, 47 लोग अब भी लापता हैं, और सैकड़ों घर या तो पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं या रहने योग्य नहीं रहे.
राज्य सरकार ने भी अदालत को सूचित किया कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए जमीन की पहचान की जा चुकी है और विशेषज्ञों द्वारा इस जमीन को पुनर्वास के लिए सही पाया गया है. हालांकि राज्य सरकार ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता नहीं मिलती तब तक पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती.
सुनवाई के दौरान के वकील के. गोपालकृष्ण कुरूप ने भूस्खलन पीड़ितों के कर्ज माफ करने की भी मांग की.
राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन ने केरल विधानसभा में भी इस मुद्दे पर कहा कि केंद्र सरकार की ओर से केवल आश्वासन दिए गए हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना के बाद प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन के आधार पर कार्रवाई की जाएगी लेकिन अगस्त में ज्ञापन सौंपे जाने के बाद भी कोई राहत राशि नहीं मिली है.