HomeAdivasi Dailyकेरल की काट्टूनायकन जनजाति को मिली पहली बीटेक ग्रेजुएट

केरल की काट्टूनायकन जनजाति को मिली पहली बीटेक ग्रेजुएट

श्रुति, जिसका उद्देश्य पब्लिक सेक्टर में नौकरी पाना है. उसने कत्तिकुलम में सरकारी एचएसएस में कक्षा 10 तक पढ़ाई की थी और मनंतवडी में सरकारी व्यावसायिक एचएसएस में प्लस टू किया था. अब वह लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी कर रही है.

राजू-सुनिता दंपत्ति के दो बच्चों में बड़ी श्रुति राज ने एक बैरियर तोड़ा है. वह बीटेक की डिग्री हासिल करने वाली काट्टूनायकन जनजाति की पहली शख्स बन गई हैं. श्रुति राज केरल के कत्तिकुलम के चेलूर में नेताजी आदिवासी कॉलोनी की निवासी है. उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के दम पर यह उपलब्धि हासिल की है. लेकिन श्रुति के लिए यह सफर आसान नहीं रहा.

श्रुति कहती हैं, “मैंने SSLC परीक्षा में 86 फीसदी अंक हासिल किए हैं. सौभाग्य से मुझे अपने आगे की पढ़ाई के लिए एक स्पॉनसर मिला. लेकिन कॉलेज के दिन संघर्ष के थे.”

श्रुति ने 2014-18 के दौरान वायनाड के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बीटेक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. उन्होंने कहा, “मुझे एक पेपर ‘माइक्रोप्रोसेसर और कंट्रोलर’ का पास करना था. मैं अपने पहले दो प्रयासों में असफल रही लेकिन मैं बीटेक करना चाहती थी.”

इसलिए श्रुति स्पेशल कोचिंग के लिए गई और अपने तीसरे प्रयास में इस साल इस विषय को पास कर लिया. श्रुति कहती हैं, “मैंने 60 फीसदी अंकों के साथ बीटेक पूरा किया. जबकि मेरे समुदाय के कई छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं. लेकिन मैंने कोर्स खत्म करने की कोशिश करती रही.”

श्रुति, जिसका उद्देश्य पब्लिक सेक्टर में नौकरी पाना है. उसने कत्तिकुलम में सरकारी एचएसएस में कक्षा 10 तक पढ़ाई की थी और मनंतवडी में सरकारी व्यावसायिक एचएसएस में प्लस टू किया था. अब वह लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. श्रुति कहती हैं कि मुझे परीक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण मिल रहा है.

एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम, वायनाड के जिला परियोजना अधिकारी के. सी. चेरियन ने कहा कि काट्टूनायकन जनजाति मुख्य रूप से वायनाड, नीलांबुर और पलक्कड़ के वन क्षेत्रों में फैली हुई है. अभी तक हमें किसी भी छात्र द्वारा बीटेक कोर्स पूरा करने की कोई सूचना नहीं मिली है. श्रुति यह उपलब्धि हासिल करने वाली अपने समुदाय की पहली व्यक्ति हैं. श्रुति के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं.

(Image Credit: The New Indian Express)

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