केरल के कन्नूर जिले के अरलम क्षेत्र में सोमवार को उस वक्त तनाव बढ़ गया जब निवासियों ने जंगली जानवरों के हमलों के खिलाफ प्रदर्शन किया और रविवार को जंगली हाथी के हमले में मारे गए आदिवासी दम्पति के शवों को ले जा रही एम्बुलेंस को रोक दिया.
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि जब तक वन मंत्री ए के ससीन्द्रन (A K Saseendran) घटनास्थल पर नहीं पहुंच जाते, शवों को घर नहीं ले जाया जाएगा.
कन्नूर के सांसद के सुधाकरन, विधायक सजीव जोसेफ और सीपीआई (एम) के जिला सचिव एम वी जयराजन सहित राजनीतिक नेताओं द्वारा की गई चर्चा के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने हटने से इनकार कर दिया.
स्थानीय लोगों ने सड़क पर पेड़ और पत्थर रखकर एंबुलेंस को रोक दिया और धरना दिया.
बाद में सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे ससींद्रन के घटनास्थल पर पहुंचने और स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद रात आठ बजे वेल्ली (80) और उनकी पत्नी लीला (75) के शवों का अंतिम संस्कार किया गया.
मंत्री ने उन्हें जंगली हाथियों के हमले को रोकने के लिए दीवार बनाने के निर्णय के बारे में बताया. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
मंत्री के आश्वासन के बाद ही एंबुलेंस को आगे बढ़ने दिया गया.
यह हादसा रविवार शाम को हुआ. जब वेल्ली और लीला को करिक्कामुक्कू के ब्लॉक 13 स्थित अरलम फार्म में काजू इकट्ठा करते समय जंगली हाथी ने कुचलकर मार डाला.
हाथी काफी देर तक शवों के पास रहा इसलिए शुरू में शवों को निकालना असंभव था. बाद में शवों को निकालने के प्रयास के कारण विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए.
आखिरकार रात 11.30 बजे शवों को अस्पताल पहुंचाया गया.
इस बीच, वन मंत्री की अध्यक्षता में अरलम पंचायत में सर्वदलीय बैठक हुई. सरकार ने मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की.
बैठक के बाद ए.के. ससीन्द्रन ने कहा कि मनुष्यों पर वन्यजीवों के हमलों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं और हाथियों को वापस घने जंगल में खदेड़ने सहित तत्काल उपाय अपनाए जाएंगे.
मीडिया को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि रैपिड रिस्पांस टीमों की संख्या बढ़ाई जाएगी, साथ ही आस-पास के क्षेत्रों से अतिरिक्त सहायता मांगी जाएगी. आपदा प्रबंधन कोष से आवंटित धन से चुनिंदा स्थानों पर अस्थायी सोलर फेंस लगाई जाएगी. वन्यजीवों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए अरलम फार्म अधिकारियों को झाड़ियां साफ करने का काम सौंपा गया है.
घटना के विरोध में यूडीएफ और भाजपा ने सोमवार को अरलम पंचायत में हड़ताल की.
तिरुवनंतपुरम में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार यह बैठक 27 फरवरी को सचिवालय में होगी. बैठक में वन, वित्त, स्थानीय स्वशासन, बिजली, राजस्व, स्वास्थ्य और सिंचाई विभागों के मंत्री और नौकरशाह शामिल होंगे.
साथ ही वन एवं वन्यजीव विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य पुलिस प्रमुख और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव भी इसमें हिस्सा लेंगे.
बैठक में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी.
क्या है पूरा मामला?
रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) में कर्मचारियों की कमी, हाथियों की दीवार का रुका हुआ निर्माण और अनियंत्रित झाड़ियां आवासीय क्षेत्रों को घने जंगलों में बदल रही हैं. और यह सभी परिस्थितियां अरलम फार्म को जंगली हाथियों के लिए आदर्श बना दिया है.
नतीजतन, 1,717 आदिवासी परिवारों के घर वाले इस क्षेत्र में अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष देखने को मिलते हैं. साल 2014 से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से दो की मौत रविवार (23 फरवरी, 2025) को हुई.
निराश निवासी राज्य सरकार पर आदिवासी समुदाय की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हैं.
अरलम फार्म में जंगली हाथियों के हमलों पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘Aneki Sambhavana Hein’ की निर्देशक और निवासी जिबिश उषा बालन ने कहा, “अरलम के विभिन्न ब्लॉकों में सैकड़ों खाली घर हैं. बाहरी लोग मान सकते हैं कि लोगों ने सरकारी वित्तपोषित घरों को छोड़ दिया है लेकिन वास्तविकता यह है कि वे अपनी जान के डर से वहां से चले गए हैं. पिछले एक दशक में जंगली हाथियों के हमलों में 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि फसल की बर्बादी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना आए दिन की घटना बन गई है.”
जिबिश ने पूछा, “कुछ साल पहले, जब अरलम का एक हाथी कनिचर में भटक गया और सामान्य वर्ग के एक शख्स को मार डाला तो सरकार ने तुरंत सुरक्षात्मक दीवार बनाने के लिए काम किया. लेकिन यहां इतनी मौतों के बावजूद निर्माण अब तक अधूरा है. नियोजित 10 किलोमीटर लंबे हिस्से में से सिर्फ 3 किलोमीटर का काम पूरा हो पाया है. क्या आदिवासियों की जान मायने नहीं रखती.”
पूरे क्षेत्र के लिए सिर्फ़ एक फॉरेस्ट ऑफिस होने के कारण अधिकारी हर रात अलग-अलग ब्लॉकों में होने वाले कई संघर्षों का जवाब देने में असमर्थ होते हैं.
आखिर एक ही आरआरटी
लोगों ने कहा कि करीब 40 जंगली हाथी इस क्षेत्र में घूमते हैं. इसके बावजूद सिर्फ 12 आरआरटी
अरलम फार्म के डिप्टी रेंज ऑफिसर इन-चार्ज एम शैनी कुमार ने कहा, “अरलम में 12 आरआरटी
शैनी ने कहा कि फिलहाल दो गाड़ियां रात में खेत की निगरानी करते हैं लेकिन अधिकारी बढ़ते संकट से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम गिनती भूल गए हैं कि हमने हर दिन कितनी बार हाथियों को जंगल में खदेड़ा है. लेकिन वे कुछ ही घंटों में वापस आ जाते हैं. अब हम उन्हें भगाने के लिए पटाखे जलाते हैं.
घने जंगल से ढके घरों ने समस्या को और भी बदतर बना दिया है, क्योंकि वे जंगली जानवरों के छिपने के लिए एकदम सही जगह बन जाते हैं.
बढ़ रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष
हाल के महीनों में केरल में जानलेवा जंगली हाथियों के हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे वन विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
निवासी प्रभावित क्षेत्रों में जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए ताकि आगे ऐसी घटनाएं न हों.
हफ्ते भर पहले वायनाड जिले से ऐसा ही मामला सामने आया था. यहां एक जंगली हाथी के हमले में एक 26 साल के आदिवासी युवक की मौत हो गई थी.
इससे पहले केरल-तमिलनाडु सीमा पर नूलपुझा गांव के एक जंगल के किनारे के इलाके में भी एक घटना हुई थी. जहां जंगली हाथी के हमले में एक 45 साल के व्यक्ति मौत हो गई थी.