HomeAdivasi Dailyआदिवासी शिशु मृत्यु दर के पीछे जागरुकता की कमी: मंत्री का संसद...

आदिवासी शिशु मृत्यु दर के पीछे जागरुकता की कमी: मंत्री का संसद में बयान

टुडू ने लोकसभा में माना कि आदिवासी समुदायों में शिशु और मातृ मृत्यु दर और एनीमिया से प्रभावित महिलाओं के मामले काफी ज्यादा हैं.

जागरुकता की कमी, इलाज के लिए संस्थागत सुविधाओं से दूरी बनाए रखना, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव और पिछड़ापन, आदिवासी समुदायों के बीच ऊंचे शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate – IMR) की वजहें हैं. यह बात जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री बिशेश्वर टुडू ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कही.

आईएमआर की ऊंची दर, और आदिवासी महिलाओं में एनीमिया के मामलों के पीछे भी उन्होंने यही वजहें गिनायीं. टुडू ने लोकसभा में माना कि आदिवासी समुदायों में शिशु और मातृ मृत्यु दर और एनीमिया से प्रभावित महिलाओं के मामले काफी ज्यादा हैं.

उन्होंने लोकसभा को यह भी बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए, सरकार देश भर में आदिवासियों के समग्र विकास के लिए ट्राइबल सब्प्लान (टीएसपी), अनुसूचित जनजाति घटक (Scheduled Tribe Component), आदिवासियों के लिए विकास कार्य योजना (Development Action Plan for Development of STs) लागू कर रही है.

“जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अलावा, 40 केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों को नीति आयोग द्वारा आदिवासी विकास के लिए टीएसपी फंड के रूप में हर साल अपनी कुल योजना आवंटन का कुछ प्रतिशत निर्धारित करने के लिए बाध्य किया गया है. आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, पेयजल, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विकास परियोजनाओं को चलाने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों द्वारा अपनी योजनाओं के तहत टीएसपी फंड खर्च किया जाता है,” टुडू ने संसद में कहा.

राज्य सरकारों पर भी जिम्मा है कि वो राज्य में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या (जनगणना 2011) के अनुपात में टीएसपी निधियां निर्धारित करें.

टुडू ने कहा कि इस अंतर को पाटने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय टीएसपी के तहत संबंधित मंत्रालयों और राज्यों की पहल के अलावा जनजातीय आबादी के लिए लगभग 14 योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू कर रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments