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महाराष्ट्र: आदिवासी महिलाओं के साथ मारपीट करने वाले API विनोद वाघ के खिलाफ जांच शुरू

ये सभी महिलाएं मूल रूप से पालघर जिले के कासा आदिवासी इलाके की रहने वाली हैं. पीड़ित महिलाओं के नाम बेबी नारायण वावरे, दीपिका दिनेश वावरे, विमल माणक्या पुंजारा, सोनम साबू भोइर, सीता संतराम भोइर, तरु सुभाष डोकफोडे हैं.

महाराष्ट्र के वसई में छह आदिवासी महिलाओं को जेब काटने के शक में मारपीट करने के आरोपी सहायक पुलिस निरीक्षक (API) विनोद वाघ को आखिरकार निलंबित कर दिया गया है. प्रदर्शनकारियों और पीड़ितों का समर्थन करने वाले लोगों ने विनोद वाघ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.

विनोद वाघ के निलंबन की पुष्टि करते हुए जोनल पुलिस उपायुक्त (DCP) संजय कुमार पाटिल ने कहा, “उनके खिलाफ एक विभागीय जांच (DE) शुरू की गई है.”

छह पीड़ितों में से एक बेबी नारायण वावरे, जिसका बायां हाथ वाघ द्वारा बेंत से मारने के बाद नीला हो गया था, ने कहा, “अच्छा हुआ. उसने हमें बेवजह परेशान किया था. कई गरीब आदिवासी देर शाम काम से घर लौटते हैं और अगर वह सत्ता में रहे तो वह आदिवासियों पर हमला करते रहेंगे. यह बहुत अच्छा है कि उनसे उनकी शक्ति छीन ली गई, जिसका उन्होंने हम पर हमला करने के लिए दुरुपयोग किया.”

मार्क्सवादी-लेनिनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (रेड फ्लैग) के वसई तालुका सचिव शेरू वाघ ने कहा कि वाघ को आदिवासी महिलाओं पर हमला करने के लिए बुक किया जाना चाहिए. शेरू ने कहा, “उसने इन आदिवासी महिलाओं को एक ऑटो में जबरन बांध दिया था और फिर उन्हें पापड़ी पुलिस चौकी तक खींच कर लाया था. यह स्पष्ट रूप से उनकी मनमानी और उनकी आधिकारिक शक्ति के घोर दुरुपयोग को दर्शाता है.”

शेरू वाघ ने आगे कहा, “आज उन्हें निलंबित कर दिया गया है. लेकिन कुछ महीने बाद उन्हें बहाल कर दिया जाएगा और वह फिर से अपनी शक्ति का दुरुपयोग करेंगे. इसलिए पहले दिन से ही हम मांग कर रहे हैं कि पुलिस उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (छेड़छाड़) और अत्याचार अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करे.”

श्रमजीवी संगठन के कार्यकर्ता संतोष तुम्बाडा ने मिड-डे को बताया, “सिर्फ निलंबन से काम नहीं बनेगा. उसके खिलाफ आदिवासी महिलाओं से बेवजह मारपीट करने का मामला दर्ज किया जाए. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए क्योंकि वाघ के खिलाफ प्राथमिकी अन्य पुलिसकर्मियों के लिए एक सबक के रूप में काम करेगी और यह उन्हें अपनी आधिकारिक शक्ति का दुरुपयोग करने से रोकेगी. आदिवासी महिलाओं को न्याय दिया जाना चाहिए.”

मामले में उनके हस्तक्षेप के बाद मामला प्रकाश में आया. इसके बाद वाघ को पुलिस नियंत्रण कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया और एक जांच बुलाई गई.

वसई पुलिस स्टेशन, जहां विनोद वाघ तैनात थे, के सूत्रों ने मिड-डे को बताया कि पुलिस घटना को दबाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसे बचाने के लिए सब्जी बेचने वालों के झूठे बयान दर्ज किए गए थे.

एक सूत्र ने कहा, “हर कोई जानता है कि वह कितना घमंडी है (विनोद वाघ). सब्जी बेचने वालों को यह बयान देने के लिए मजबूर किया गया था कि उन्होंने एपीआई वाघ द्वारा किसी पर हमला करते हुए नहीं देखा. यह उनकी सुरक्षा के लिए किया गया था क्योंकि वह एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं और वरिष्ठ नहीं चाहते थे कि उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट को इस पर बदनाम किया जाए.”

सूत्र ने आगे कहा, “लेकिन उन्हें निलंबित करने के लिए वरिष्ठों पर दबाव डाला गया और आखिरकार उन्हें शनिवार को निलंबित कर दिया गया. अब उनका प्रमोशन बहुत मुश्किल होगा.”

सूत्र ने बताया कि वाघ को कुछ महीने पहले एक सब-इंस्पेक्टर से एपीआई के तौर पर प्रमोट किया गया था. सूत्र ने कहा, “उन्होंने पहले नागपुर पुलिस और मुंबई में सीआईडी ​​के साथ काम किया था.”

बीजेपी की वरिष्ठ नेता चित्रा वाघ ने कहा कि मैं डीसीपी से बात करके जानूंगी कि अभी तक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई है.

दरअसल विनोद वाघ ने 19 नवंबर की दोपहर तरु सुभाष डोकफोडे, सोनम भोईर, सीता भोइर, विमल पुंझारा, दीपिका वावरे और बेबी वावरे को वसई बाजार में खरीदारी के दौरान उठाया था. इसके बाद वह उन्हें पापड़ी पुलिस चौकी के अंदर ले गया, दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. बेंत से पीटा और करीब 30 मिनट तक गाली-गलौज की.

ये सभी महिलाएं मूल रूप से पालघर जिले के कासा आदिवासी इलाके की रहने वाली हैं.

(Image Credit: mid-day)

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