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आदिवासियों को लुभाने में लगी पश्चिम बंगाल सरकार, देवचा-पचमी खदान इलाके में कई परियोजनाएं होंगी लागू

“सभी नई सड़कें स्थानीय लोगों की मांगों को पूरा करेंगी और सरकार की जरूरतों को भी पूरा करेंगी, क्योंकि सड़क संपर्क परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है. कुछ आदिवासी नेताओं ने हमें बताया कि वे कोयला खदान परियोजना क्षेत्रों के पास पुनर्वास करना चाहते हैं. इसलिए, ये सड़कें हमें पुनर्वास कॉलोनियों से बेहतर तरीके से जुड़ने में मदद करेंगी.”

पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रस्तावित देवचा-पचमी कोयला खदान परियोजना के इलाकों में सड़कों, पेयजल आपूर्ति और हथकरघा समेत कई विकास परियोजनाओं शुरू की हैं. यह परियोजनाएं इलाके के आदिवासी लोगों को लुभाने की कोशिश है. कोयला खदान का विरोध करने वाले इन आदिवासियों ने इलाके में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर नाराज़गी जताई थी.

अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित कोयला खदान परियोजना के तहत आने वाले अलग अलग इलाकों के निवासियों द्वारा दिए गए प्रस्तावों के बाद ही यह पहल की गई.

“आदिवासी लोगों और उनके प्रतिनिधियों ने सड़कों, जल परियोजनाओं और दूसरे बुनियादी ढांचे की मांग की थी. 20 से अधिक सड़कों और चार जल परियोजनाओं के अलावा, पारंपरिक आदिवासी पोशाक बनाने के लिए एक हथकरघा इकाई भी खोलेंगे,” बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट बिधान रे ने द टेलिग्राफ को बताया.

बीरभूम जिला परिषद को कोयला खदान परियोजना के तहत आने वाले इलाकों में 21 सड़कें बनाने का काम सौंपा गया है. परिषद ने सड़कों के लिए करीब 30 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और दो पर काम शुरू भी हो गया है.

एनएच-14 से चार प्रमुख सड़कों का निर्माण कोयला खदान क्षेत्रों के गांवों – हरिनसिंह, हटगछा और दीवानगंज – को जोड़ने के लिए किया जाएगा.

एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सभी नई सड़कें स्थानीय लोगों की मांगों को पूरा करेंगी और सरकार की जरूरतों को भी पूरा करेंगी, क्योंकि सड़क संपर्क परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है. कुछ आदिवासी नेताओं ने हमें बताया कि वे कोयला खदान परियोजना क्षेत्रों के पास पुनर्वास करना चाहते हैं. इसलिए, ये सड़कें हमें पुनर्वास कॉलोनियों से बेहतर तरीके से जुड़ने में मदद करेंगी.”

हटगछा, पुरातनग्राम और देवचा में चार जल परियोजनाओं की योजना बनाई गई है.

जल परियोजनाओं के तहत द्वारका नदी में एक पंप स्थापित किया जाएगा और 18 स्थानीय आदिवासी बस्तियों को पाइप से पानी की आपूर्ति की जाएगी. इन चार जल परियोजनाओं पर लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

इलाके के आदिवासियों द्वारा उठाई गई सभी मांगों पर ध्यान दिया जा रहा है. सरकार का देवचा-पचमी कोयला खदान पर कितना बड़ा फोकस है, ये इस बात से पता चलता है की अधिकारी ग्रामीणों के साथ बैठकर उन्हें हर कल्याणकारी परियोजना के बारे में बताने को तैयार हैं.

अधिकारियों ने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित पैकेज “बहुत ही आकर्षक” है, जिसमें जमीन की कीमत बाजार दर से तीन गुना और हर प्रभावित परिवार के सदस्य के लिए राज्य सरकार की नौकरी है.

राज्य सरकार ने फिलहाल अपनी जमीन में खनन शुरू करने का फैसला किया है, लेकिन इलाके के लोगों से और प्रतिक्रिया लेने के लिए एक महीने का इंतजार किया जाएगा.

25 नवंबर को, हरिनसिंह के लगभग 150 ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान जोसेफ मरांडी की अध्यक्षता में एक बैठक की थी, और जमीन न देने का फैसला किया था. हालांकि, 24 घंटे के अंदर, तृणमूल और आदिवासी गांवों के नेताओं के साथ बैठक के बाद, ग्राम प्रधान ने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं.

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