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तमिलनाडु: सड़कों की कमी ने तीन साल में 30 आदिवासियों की ली जान

इन आदिवासी बस्तियों के लोगों का कहना है कि सड़क संपर्क की कमी के कारण लगभग 30 आदिवासियों की मौत हो गई. हम कुरुमलाई, कुझीपट्टी, मवादप्पू जैसी कुछ आदिवासी बस्तियों के लिए सड़क संपर्क चाहते हैं.

आदिवासी क्षेत्रों में सड़क की कमी ने पिछले तीन वर्षों में तमिलनाडु के तिरूप्पुर ज़िले के उदुमल्पेट (Udumalaipet) में 30 से अधिक लोगों की जान ले ली है. आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता के समय पर अस्पतालों में नहीं ले जाने के कारण इन आदिवासियों की जान गई.

आधिकारिक अनुमान के अनुसार, कुरुमलाई (102), मेल कुरुमलाई (49), पुचुकोट्टमपराई (46), कुझीपट्टी (170), मवादप्पु (130), कट्टुपट्टी (65) और करुमुती (65) समेत सभी तालुक में 627 आदिवासी परिवार हैं.

मावदापु आदिवासी बस्ती के मूपर (ग्राम प्रधान) के कुप्पुसामी ने कहा, “पिछले साल, मेरे रिश्तेदार शक्तिवेल (35), जो खेती में लगे हुए थे, उनकी पत्नी कलियममल (28) को एक जहरीले सांप ने काट लिया था. गांव में एक जीप उपलब्ध थी लेकिन उदुमल्पेट सरकारी अस्पताल तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था जो कि कुछ ही किलोमीटर दूर है. इसलिए हमें मजबूरन उसे जंगल के रास्ते से उप्पर अलियार बांध की ओर ले जाना पड़ा और 30 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने के बाद अट्टाकाडी और फिर उदुमल्पेट सरकारी अस्पताल ले जाया गया. क्योंकि जंगल का कच्चा मार्ग खराब स्थिति में था और इसमें 3 घंटे से अधिक समय लगा और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.”

उन्होंने कहा, “एक अन्य घटना में, मयिलसामी (45) पर एक भालू ने हमला किया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया. हम एक वैन की व्यवस्था करने में कामयाब रहे लेकिन हम उसे समय पर उदुमल्पेट सरकारी अस्पताल नहीं ले जा सके और रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. सिर्फ हमारी बस्तियों में ही नहीं, सभी आदिवासी बस्तियों में इस समस्या का सामना करना पड़ता है, हम दावा करते हैं कि 30 से अधिक आदिवासियों की मौत अस्पताल ले जाते समय हो गई.”

धाली टाउन पंचायत के उपाध्यक्ष और तमिलनाडु हिल ट्राइबल एसोसिएशन (तिरूप्पुर) के अध्यक्ष के सेल्वम ने कहा, “पिछले कई दशकों से उदुमल्पेट में आदिवासी बस्तियों के लिए उचित सड़क संपर्क नहीं है. हम उप्पर अलियार तक पहुंचने के लिए जंगल वाली सड़क का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं और फिर अट्टाकाडी की ओर, जो चिकित्सा उपचार के लिए पोलाची और उदुमल्पेट दोनों की ओर जाता है.”

उन्होंने कहा, “हाल ही में एक आदिवासी महिला जो चार महीने की गर्भवती थी और पेट में दर्द की शिकायत के बाद उसे पालने में अस्पताल ले जाना पड़ा. सिर्फ उन्हें ही नहीं, स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से पीड़ित सभी आदिवासियों को जंगल के रास्ते पालने जैसी व्यवस्था कर के अस्पताल जाने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसमें सिर्फ 3 से 4 किलोमीटर लगते हैं. सड़क संपर्क की कमी के कारण लगभग 30 आदिवासियों की मौत हो गई. हम कुरुमलाई, कुझीपट्टी, मवादप्पू जैसी कुछ आदिवासी बस्तियों के लिए सड़क संपर्क चाहते हैं.”

वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “कुरुमलाई, कुझीपट्टी, मवादप्पू और अन्य कुछ आदिवासी बस्तियों के बीच सड़क संपर्क नहीं है. हम आदिवासी बस्तियों के बीच सड़क निर्माण का कभी विरोध नहीं करते हैं. लेकिन इन बस्तियों के बीच सड़क संपर्क अनामलाई टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. क्योंकि यह एक जटिल मुद्दा है इसलिए हमने आदिवासियों को सीधे राज्य सरकार से अपील करने के लिए कहा है, जो इस संवेदनशील मामले पर केंद्र सरकार को अनुरोध भेज सकती है. इसके अलावा हमने उच्च अधिकारियों को वनों के अंदर आंतरिक सड़क परियोजनाओं की व्यवहार्यता का उल्लेख करते हुए एक रिपोर्ट भी भेजी है.”

राजस्व विभाग (उदुमल्पेट डिवीजन) के एक अधिकारी ने कहा, “कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान तीन आदिवासी कोविड पॉजिटिव पाए गए थे लेकिन अब तक किसी भी शख्स के मौत की सूचना नहीं है. जहां तक ​​समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने वाले लोगों की मौत का सवाल है तो मेरा मानना ​​है कि पिछले तीन वर्षों (2019-21) में यह संख्या 30 से अधिक हो सकती है.”

उन्होंने कहा, “हमने विशेष रूप से इन परिदृश्यों में आदिवासियों की मृत्यु की जनगणना नहीं की है. आदिवासी बस्तियां आरक्षित जंगलों के अंदर स्थित हैं और ये इलाके कठोर और कठिन हैं. इसलिए स्वास्थ्य और राजस्व अधिकारियों के लिए इन स्थानों तक पहुंचना मुश्किल है. निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) एरिसनमपट्टी गांव में स्थित है. यहां तक कि स्वास्थ्य अधिकारियों को भी आदिवासी बस्तियों में शिविर आयोजित करने के लिए वन विभाग से अनुमति की आवश्यकता होती है. कोविड-19 की लहरों के दौरान, अधिकारियों ने वन विभाग से अनुमति लेने के बाद आदिवासियों का टीकाकरण किया.”

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