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शिवराज सरकार के आदिवासियों को भगवान राम से जोड़ने का प्लान आलोचना के घेरे में

तीन रामलीला नाटकों का इस्तेमाल पिछले साल रामलीला के लिए किया जाना था, लेकिन कोविड प्रतिबंधों की वजह से ऐसा नहीं किया जा सका.

मंगलवार से मध्य प्रदेश में शुरू होने वाले नर्मदा उत्सव में राज्य के 11 जिलों में ‘निर्झरनी महोत्सव’ आयोजित होगा. इसके दौरान भगवान राम और आदिवासियों के बीच की अनूठी कड़ी को प्रदर्शित किया जाएगा.

“उत्सव के दौरान गोंड और बैगा जनजाति के अलग अलग नृत्य रूप, आध्यात्मिक संगीत कार्यक्रम और अवधी संगीत कार्यक्रम होंगे. नर्मदा कथाओं पर आधारित आदिवासी चित्रों की प्रदर्शनी, और रामायण में वर्णित वन-निवास पात्रों पर केंद्रित चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी,” संस्कृति और पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव, शिव शेखर शुक्ला ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया.

इसके अलावा त्योहार के हिस्से के रूप में, एमपी के संस्कृति विभाग ने आदिवासी साध्वी शबरी और आदिवासी राजा निषादराज पर एक नाटक के आयोजन का प्लान बनाया है. हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार इन दोनों ने 14 साल के लंबे वनवास के दौरान भगवान राम की मदद की थी.

संस्कृति विभाग द्वारा उनके शासन पर शोध करने और आदिवासियों के लिए रामलीला की स्क्रिप्ट तैयार करने के लिए नियुक्त एक पटकथा लेखक योगेश त्रिपाठी ने कहा, “मैं उत्साहित हूं क्योंकि यह पहली बार है जब हम भगवान राम और आदिवासी के बीच संबंध को उजागर करने जा रहे हैं. इसमें हम बताएंगे कि कैसे भगवान राम को आदिवासियों से प्रेरणा मिली.”

त्रिपाठी द्वारा लिखी गई तीन रामलीला नाटकों का इस्तेमाल पिछले साल रामलीला के लिए किया जाना था, लेकिन कोविड प्रतिबंधों की वजह से ऐसा नहीं किया जा सका.

आदिवासी कार्यकर्ताओं ने पूरे प्लान की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार नर्मदा उत्सव का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है.

“इसमें कोई शक नहीं कि नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के आदिवासियों के लिए आजीविका कमाने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है, लेकिन आदिवासी इतिहास में नर्मदा का एक माँ के रूप में कोई आध्यात्मिक पहलू नहीं है. सरकार बस अब भगवान राम के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है. राज्य सरकार नर्मदा जयंती पर रामायण से संबंधित नाटक, फिल्म और फोटो प्रदर्शनी क्यों पेश कर रही है? उन्हें नदी में प्रदूषण को कम करने और नदी के वनस्पतियों और जीवों को पुनर्जीवित करने के लिए कार्यक्रमों के आयोजन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए,” कार्यकर्ता नरेश बिस्वा, जो कई सालों से डिंडोर, मंडला और अनूपपुर में आदिवासियों के साथ काम कर रहे हैं, ने कहा.

आदिवासी संस्कृति विशेषज्ञ, विक्रम अचलिया ने कहा, “राज्य सरकार पिछले एक साल से राम लीला दिखाने के अवसर का इंतजार कर रही थी और आखिरकार उन्हें यह मिल गया. हम बस इतना चाहते हैं कि राज्य सरकार आदिवासियों की संस्कृति को खराब करने और आदिवासियों का नया इतिहास रचने की कोशिश न करे. शुरुआत में वे केवल भगवान राम को जोड़ रहे हैं और बाद में वे सभी पौराणिक पात्रों को आदिवासी के साथ जोड़ना शुरू कर देंगे ताकि उन्हें हिंदू साबित किया जा सके.”

विपक्ष ने भी राज्य सरकार पर भी हमला बोला.

राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने कहा कि जनता से जुड़े कई वास्तविक मुद्दे सामने हैं, लेकिन सरकार सिर्फ अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

“भाजपा सरकार को माँ नर्मदा के लिए असल में कोई चिंता नहीं है. मध्य प्रदेश में अवैध बालू खनन हो रहा है और राज्य सरकार इसे संरक्षण दे रही है. नदी के किनारे की जा रही अवैध गतिविधियों ने नर्मदा नदी का जलस्तर कम कर दिया है, लेकिन सरकार समस्याओं का विश्लेषण करने और समाधान निकालने के बजाय अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी हुई है,” उन्होंने कहा.

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